एस एम फ़रीद भारतीय
बुलंदशहर से पूर्व बसपा विधायक प्रत्याशी हाजी युनुस ने बसपा का दामन छोड़ रालोद का दामन थाम लिया है, ये बसपा के लिए एक बड़ा झटका तो रालोद ते लिए ख़ुशी की ख़बर बताई जा रही है, 1 दिसम्बर को महक बारातघर मैं कुछ लम्हे हाजी युनुस से बात हुई थी, तभी लगा था कि युनुस का मौजूदा हालात को देख बसपा से मोह भंग हो चुका है, पिछली बार हाजी युनुस अपने बड़े भाई बसपा विधायक हाजी अलीम की जगह बुलंदशहर सदर सीट से चुनाव लड़े और वो हाजी अलीम की तरहां जीतकर बसपा को सीट तो नहीं दिला सके, वैसे भी ये सीट इनके भाई मरहूम हाजी अलीम से भाजपा ने छीनी थी, मगर पूर्व विधायक की मौत भी सहानुभूति वोट नहीं दिला सकी, वजह है बसपा का युवा के साथ बहुत वोटर बसपा छोड़ भाजपा मैं गया था.
वहीं हाजी युनुस के भतीजे पूर्व विधायक हाजी अलीम के बेटे दानिश का आरोप है कि उनके पिता की मौत उनके चाचा के इशारे पर हुई है, इसी बात पर यकीन कर बसपा का बड़ा धड़ा बसपा से नाराज़ भी था और वो बसपा के हाजी युनुस की जगह भाजपा की उषा सिरोही के साथ गया, वही दानिश ने कहा कि सीबीसीआईडी टीम उनके चाचा यूनुस की हर बात उन्हें बताया करती थी, यह भी सीबीसीआईडी ने ही उन्हें बताया था कि उन पर जबरन अनस को फंसाने का दबाव बनाया जा रहा है, बाकायदा रुपये की पेशकश भी की गई लेकिन बाद में सीबीसीआईडी ने नकार दिया, दानिश ने बताया कि सीबीसीआईडी ने उनके परिवार के सामने भी कई बार रुपयों का हिंट दिया था, लेकिन वह उनके हिंट को समझ नहीं सके.
दानिश के अनुसार शायद यही वजह रही कि बाद में सीबीसीआईडी ने यूनुस के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, अनस की गिरफ्तारी से तीन दिन पहले सीबीसीआईडी के अफसरों ने अनस से कहा था कि अगर उसके पास सीबीसीआईडी से कोई फोन आता है तो वह दफ़्तर न आए, लेकिन तीन दिन बाद अचानक अनस जब इस मामले की जानकारी लेने सीबीसीआईडी दफ्तर पहुंचा तो उसे वहां से गिरफ्तार कर लिया गया था.
आपको बता दें कि बुलंदशहर पुलिस ने हाजी अलीम की मौत को आत्महत्या मानते हुए केस बंद कर दिया था, हाजी युनूस और बेटे अनस ने इसे कोर्ट में चुनौती दी थी, मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई, लगभग डेढ़ साल बाद सीबीसीआईडी ने मेरठ से अनस को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, अनस को बुलंदशहर सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने अनस को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
तब दानिश ने यह भी आरोप लगाया कि उसके चाचा यूनुस राजनीतिक लाभ लेना चाहते थे, वह अपने बड़े भाई हाजी अलीम की जगह बुलंदशहर के विधायक बनना चाहते थे, लेकिन यह उनके जीवित रहने तक संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने पहले उनके पिता की हत्या कराई और फिर उनकी संपत्तियों पर भी कब्जा कर लिया, इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि अपने भाई के मरने के बाद भी यूनुस ने राजनीति में रुचि दिखाई और उपचुनाव तक में भागीदारी की.
बसपा के टिकट पर दो बार बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हाजी अलीम का उनके घर में गोली लगा शव पड़ा मिला, उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में सिर मैं गोली लगने से हुई है, पुलिस इसके पीछे हत्या की आशंका जता रही थी, शव के पास एक पिस्टल भी पड़ी मिली है, दो गोली लगने की चर्चा चल रही है, बताया जा रहा है कि परिजन खिड़की तोड़कर शव तक पहुंचे थे, उसके बाद पुलिस को इसकी जानकारी दी गई, मगर पुलिस तब आत्महत्या के एंगल पर भी काम कर रही थी.
हाजी अलीम 2007 व 2012 में लगातार बुलंदशहर सदर सीट से विधायक चुने गए थे, 2012 में जब समाजवादी पार्टी की लहर चल रही थी और अखिलेश यादव बहुमत के साथ प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए थे, उस समय भी हाजी अलीम ने यह सीट मायावती को तौहफ़े के रूप में दी थी, उससे पहले 2007 में उन्होंने सपा प्रत्याशी महेंद्र सिंह यादव को हराया था, उससे पहले यह सीट कभी बसपा के खाते में नहीं गई थी, बसपा के टिकट पर पहली बार कोई यहां से विधायक बना था, अगले विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह सिरोही को 5 हजार वोटों से शिकस्त दी थी, हालांकि, 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के ही वीरेंद्र सिंह सिरोही से करीब 23 हजार से भी अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा था.
उप चुनावों से पहले भाजपा के लिए जीत हासिल करना आसान नहीं होगा ऐसा कहा जा रहा था, क्योंकि गत 2017 के सदर विधानसभा सीट पर हुए चुनाव का आंकड़ा देखें तो उस दौरान कुल सात प्रत्याशी मैदान में थे, भाजपा प्रत्याशी ने उस दौरान 1,11,538 मत हासिल कि थे। जबकि, बसपा प्रत्याशी हाजी अलीम ने 88454 मत हासिल किए थे, कुल मतदान में 2,45,082 मत पड़े थे, जबकि मतदान प्रतिशत 64.27 प्रतिशत रहा था, जो कि इस उपचुनाव से काफी बेहतर आंकड़ा था, जबकि, 2017 के चुनाव में सपा प्रत्याशी ने 24119 मत हासिल किए थे और रालोद प्रत्याशी ने भी 17,216 मत हासिल किए थे, जो, इस बार के सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी से अधिक थे.
वहीं, दूसरी ओर इस उपचुनाव में पहली बार मैदान में उतरी आजाद समाज पार्टी ने भाजपा और बसपा प्रत्याशी को छोड़ सभी दलों को पछाड़ कर तीसरा मुकाम हासिल किया और अपनी बेहतर उपस्थिति दर्ज करा दी है, जो कि आगामी चुनावों में बसपा के लिए चुनौती भी बन सकती है.
सदर सीट पर हुए उपचुनाव में शुरू से ही भाजपा और बसपा में टक्कर मानी जा रही थी, भाजपा ने लोगों की नाराजगी के बाद सदर सीट पर अपनी जीत के परचम को संभाले रखा, वहीं बसपा के काडर वोटरों को आसपा के मोहम्मद यामीन और आईएमआईएम के प्रत्याशी दिलशाद अहमद ने काफी हद तक काटा, उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को कुल 66943 मत मिले.
वहीं आसपा के मोहम्मद यामीन को 13530 और एआईएमआईएम के उम्मीदवार दिलशाद अहमद को कुल 4757 वोट मिले, दोनों के मतों को यदि एक साथ कर दिया जाए तो 85221 मत के आंकड़े तक यूनुस पहुंच सकते थे, जो जीत के आसपास का होता, दोनों प्रत्याशियों ने बसपा के काडर वोट के साथ ही मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगाया था.
जयंत चौधरी के बीमार पड़ने के बाद उनके स्थान पर जनपद में पहुंचे चौधरी अजित सिंह की किसान पंचायत में उमड़े किसान वोट में तब्दील नहीं हो सके। साथ ही रालोद प्रत्याशी इस बार सपा के साथ गठबंधन के बावजूद गत विधानसभा चुनाव से एक पायदान नीचे आकर इस बार पांचवें स्थान पर रहा था, 2017 में विधानसभा चुनाव में रालोद से गुड्डू पंडित ने 17216 मत हासिल किए थे, इस बार रालोद-सपा के गठबंधन के प्रत्याशी 10 हजार के आंकड़े को भी नहीं छू पाए और मात्र 7286 वोटों से संतोष करना पड़ा.
माना जा रहा है कि पूर्व मंत्री किरनपाल के भाजपा में शामिल होने के बाद रालोद के काडर वेट बैंक में सेंध लगी है, जाट मतदाता ज्यादातर भाजपा के साथ रहे हैं, वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी सुशील चौधरी ने भी कुछ हद तक जाट वोटरों को अपनी तरफ खींचा है, वहीं समाजवादी पार्टी के गठबंधन के बाद भी मुस्लिम मत हासिल करने में रालोद के प्रत्याशी पीछे रह गए.
बुलंदशहर सदर विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सिर एक बार फिर जीत का सेहरा बंधा है, उपचुनाव नतीजों में बीजेपी प्रत्याशी ऊषा सिरोही ने बीएसपी उम्मीदवार हाजी यूनुस को 21,702 वोटों के बड़े अंतर से मात दे दी थी, तब बीजेपी प्रत्याशी की जीत के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में जमकर उत्साह नजर आया, बीजेपी कार्यालय पर ढोल-नगाड़े बजाकर डांस भी हुआ था, इस सीट पर चुनाव प्रचार करने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आए थे, बीजेपी उम्मीदवार ऊषा सिरोही को 88645 तो बीएसपी के हाजी यूनुस को 66943 वोट मिले, 10319 वोटों के साथ कांग्रेस के सुशील चौधरी तीसरे नंबर पर रहे.
उपचुनाव की बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा एक बार फिर बरकरार रहा, भाजपा प्रत्याशी ने इस सीट पर 20,962 हजार मतों से विजयी हुईं, जबकि दूसरे स्थान पर बसपा के प्रत्याशी रहे, वहीं अन्य दलों के प्रत्याशी के वोट आंकड़ों में काफी अंतर रहा। शुरुआत में भाजपा और बसपा में वोटों का अंतर ज्यादा नहीं था, लेकिन जैसे-जैसे वोटों की गिनती बढ़ती गई, भाजपा और बसपा में आंकड़ों का अंतर बढ़ता गया, आखिर मैं भाजपा प्रत्याशी की भारी वोटों से जीत हुई.
सदर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक वीरेंद्रसिंह सिरोही का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था, विधायक के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी, निर्वाचन आयोग के आदेशानुसार सदर सीट पर उप चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराई गई, भाजपा ने दिवंगत विधायक की पत्नी उषा सिरोही पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा, उनके सामने बसपा ने इसी सीट पर पूर्व विधायक रहे दिवंगत हाजी अलीम के छोटे भाई और बुलंदशहर ब्लाक प्रमुख हाजी यूनुस को प्रत्याशी बनाया, जबकि रालोद सपा गठबंधन से प्रवीण कुमार सिंह प्रत्याशी बनाए गए और कांग्रेस ने सुशील चौधरी पर दांव लगाया, पहली बार चुनाव मैदान में उतरी आजाद समाज पार्टी ने मोहम्मद यामीन को मैदान में उतारा.
उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान हुआ और आज मंगलवार को मतगणना की प्रक्रिया पूर्ण की गई, कुल 28 राउंड की मतगणना के दौरान भाजपा प्रत्याशी लगातार 15 राउंड तक आगे रहे, इसके बाद 16 और 17 में राउंड में बसपा प्रत्याशी ने कुछ बढ़त बनाई लेकिन वह अंतर को कम नहीं कर सके, इसके बाद एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी आगे रही और लगातार जीत का अंतर बढ़ता रहा, अंत में 28 राउंड की गिनती के बाद भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही 20,962 से अधिक मतों से विजयी रही.
वोटों की गिनती के बाद चौथे राउंड में भाजपा प्रत्याशी 4383 मतों से आगे रही, भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही को 13788 मत मिले और बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को 9405 मत मिले हैं.
पांचवें राउंड में भाजपा को 16499 और बसपा 11805 मत मिले, भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी उषा सिरोही 4694 मतों से आगे चल रही हैं.
सातवें राउंड भाजपा 5831 मतों से आगे, भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही को अब तक 22527 मत मिले, बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को अब तक 16696 मत मिले.
आठवें राउंड में भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही 5414 मतों से आगे, भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही को अब तक 25392 मत मिले। बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को अब तक 19978 मत मिले.
10वें राउंड में भाजपा प्रत्याशी 7175 मतों से आगे, भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही को 32157 मत मिले, बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को 24982 मत मिले, कांग्रेस सुशील चौधरी को 4720 मत।रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशी प्रवीण कुमार को 4562 मत.
14वें राउंड में भाजपा प्रत्याशी 17118 मतों से आगे, भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही को 46782 मत मिले, बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को 29664 मत मिले। आजाद समाज पार्टी प्रत्याशी मोहम्मद यामीन को 7060 मत मिले। कांग्रेस सुशील चौधरी को 5917 मत मिले। रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशी प्रवीण कुमार को 1006 मत मिले.
19वें राउंड में भाजपा प्रत्याशी 16374 मतों से आगे, भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही को 59986 मत मिले, बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को 43612 मत मिले.
25वें राउंड में भाजपा प्रत्याशी 22228 मतों से आगे, भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही को 80356 मत मिले, बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को 58128 मत मिले.
28वें राउंड में भाजपा प्रत्याशी 20962 मतों से आगे, भाजपा प्रत्याशी उषा सिरोही को 86879 मत मिले, बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस को 65917 मत मिले.
1977 से 2021 तक बुलंदशहर सदर सीट पर कौन कामयाब रहा उसका आंकड़ा...?
2020 - उषा सिरोही भाजपा 88,645 43.81% 21,702, हाजी युनुस बीएसपी 66,943 33.08% 21,
2017 - वीरेन्द्र सिंह सिरोही भाजपा 111,538 45.51% 23,084, हाजी मौहम्मद अलीम खान बसपा 88,454 36.09% 23,084.
2012 - हाजी मौहम्मद अलीम खान बसपा 76,646 37% 6,947, वीरेन्द्र सिंह सिरोही भाजपा 69,699 34% 6,947.
2007 - मौहम्मद अलीम खान बसपा 39,571 30% 3,173, महेंद्र सिंह यादव सपा 36,398 27% 3,173.
2002 - महेंद्र सिंह यादव भाजपा 36,634 28% 4,752, शाहिद अली बसपा 31,882 25% 4,752.
1996 - महेंद्र सिंह यादव भाजपा 59,647 42% 8,523 इंशाद पहलवान सपा 51,124 36% 8,523.
1993 - धरमपाल यादव (डीपी) सपा 70,859 49% 12,058, सतीश भाजपा 58,801 40% 12,058.
1991 - धरमपाल यादव उर्फ डीपी यादव जेडी 45,765 42% 11,126, सुखपाल भाजपा 34,639 32% 11,126.
1989 - धर्मपाल जेडी 87,699 67% 51,367,
सईदुल हसन कांग्रेस 36,332 28% 51,367.
1985 - एस. सईदुल हसन कांग्रेस 42,543 56% 16,443, सत्यवीर यादव भाजपा 26,100 34% 16,443.
1980 - सईदुल हसन इंक (I) 25,263 41% 9,930,
रोनक अली खान जेएनपी (एससी) 15,333 25% 9,930.
1977 - विजय राज सिंह जेएनपी 28,136 49% 11,180, त्रिलोक चंद्रा कांग्रेस 16,956 30% 11,180.
बुलंदशहर सीट पर उप-चुनावों मै भाजपा (BJP) बसपा (BSP), कांग्रेस (INC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) राष्ट्रीय लोकदल (RLD ) समाजवादी पार्टी (SP) ने नोट (सपा ने राष्ट्रीय लोकदल को समर्थन दिया था), आज़ाद समाज पार्टी (ASP) आदि के साथ निर्दलीय उम्मीदवारों ने ताल ठोकी थी, चलिए देखते हैं किसको क्या मिला...?
भाजपा उषा सिरोही 88,645 - 43.81% 21,702
बीएसपी हाजी युनुस 66,943- 33.08%
Aazad Samaj Party (Kanshi Ram) एम यामीन 13,530- 6.69%
कांग्रेस सुशील चौधरी 10,319 - 5.10%
रालोद प्रवीण कुमार सिंह 7,286- 3.60%
एआईएमआईएम दिलशाद अहमद 4,757- 2.35%
निर्दलीय- Rashtrawadi Janlok Party (Satya) पृथ्वी राज सिंह 2,944- 1.45%
आरटीकेपी उर्मिला देवी 1,898- 0.94%
None of the Above (नोटा) 979- 0.48%
निर्दलीय- गीता रानी शर्मा 803- 0.40%
निर्दलीय- राहुल कुमार 776- 0.38%
निर्दलीय- सुमन 732- 0.36%
निर्दलीय- एनसीपी योगेंद्र शंकर शर्मा 730- 0.36%
निर्दलीय- PPI (Democratic) धर्मेंद्र कुमार 536- 0.26%
निर्दलीय- भारतीय जन नायक पार्टी आशीष कुमार 395- 0.20%
निर्दलीय- आरएजेपीए राहुल उर्फ़ राहुल भाटी 319- 0.16%
निर्दलीय- एम युनुस 283 0.14%
निर्दलीय- एलकेडी एम हसन 279 0.14%
निर्दलीय- संजीव 198 0.10% ये था बीते साल उप चुनाव मैं उम्मीदवारों का लेखा जोखा, अब हाजी युनुस पाला बदलकर बसपा छोड़ रालोद के साथ साईकिल की सवारी कर रहे हैं, ऐसे मैं किसको क्या मिलेगा, अंदाज़ा लगाया जा सकता है, रालोद मैं पैराशूट उम्मीदवार की पहले ही से चर्चा थी, मगर वो शहर से ही होगा ये कहना मुश्किल है, इसके अलावा कई सवाल और भी पैदा होते हैं जिनपर वक़्त के साथ हम चर्चा करेंगे...
Comments
Post a Comment
शुक्रिया दोस्तों आपने अपने कीमती वक़्त से हमको नवाज़ा, हमारी कोशिश यही रहती कि आपको सच से सामना कराया जाये.
हमारा ईमेल - news@nbtvindia.com/ editor@nbtvindia.com