दिल्ली पुलिस की स्वायत्तता पर सवाल है, मैं उन्हें इतिहास में वापिस लेकर जाना चाहता हूं।' अब बस्सी की जगह आलोक वर्मा लेंगे।
बस्सी के खिलाफ याचिका खारिज
पिछले दिनों बस्सी पर जेएनयू मामले की जांच को प्रभावित करने का आरोप भी लगाया जा रहा था। बस्सी के खिलाफ इस मामले में कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका को सोमवार के दिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यह याचिका ‘प्रचार’ के लिए है और अदालतों पर ऐसी याचिकाओं का बोझ नहीं डाला जा सकता। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ ने सुनवाई शुरू होने के तत्काल बाद कहा ‘आपने यह याचिका क्यों दायर की? हम इस बात पर हैरान हैं कि यह जनहित में नहीं बल्कि प्रचार हित में है।’
'किसी से झगड़ा नहीं'
गौरतलब है कि अपने कार्यकाल के अंतिम कुछ दिन बस्सी के लिए काफी विवादस्पद रहे। जेएनयू मामले की जांच में दिल्ली पुलिस द्वारा बरती गई कथित लापरवाही की वजह से बस्सी पर काफी सवाल खड़े किए गए। इसी बीच केंद्रीय सूचना आयोग में एक पद के लिए दिए गए उनके नाम को भी सरकार द्वारा वापिस ले लिया गया। आम आदमी पार्टी की सरकार और दिल्ली पुलिस के बीच अनबन की खबरों के बीच अपने विदाई समारोह में बस्सी ने किसी के साथ भी 'विवाद' की बात से इंकार किया। बस्सी ने कहा 'हमारा किसी के साथ झगड़ा नहीं है। हम सबकी पहुंच में रहते हैं। अगर किसी को लगता है कि दिल्ली पुलिस आमना सामना करना चाहती है तो उसे ऐसा सोचना बंद कर देना चाहिए।' अपनी बात पूरी करते हुए बस्सी ने कहा 'हम सबूतों पर भरोसा करते हैं, फिर वह सुनंता पुष्कर केस हो, या जेएनयू केस या फिर हाल ही में पटियाला हाउस कोर्ट में हुई घटना हो...
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