उदयपुर, 9 फरवरी
मंगलवार को लेकसिटी की माटी एक बार फिर शर्मसार हुई जब एक दफन लाश को महज इस आरोप में कब्र से वापस निकाल दिया गया कि वह लाश सुन्नी मुसलमान की नहीं थी, कुछ इंसानों की इस कारगुजारी ने आज इंसानी अहम के आगे इंसानियत को शर्मसार कर दिया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार खांजीपीर निवासी 88 वर्षीय
मोहम्मद यूसुफ की सोमवार देर रात मृत्यु हो गई थी। मृतक परिजनों ने अश्विनी बाजार स्थित कब्रिस्तान में विधि-विधान से मृतक को दफना दिया, अंतिम संस्कार के बाद कब्रस्तान कमेटी के पदाधिकारी कब्रिस्तान पहुंचे तथा मृतक को सुन्नी मुसलमान नहीं होने के कारण दफनाने का विरोध करते हुए दफन शव को बाहर निकालकर वाहन द्वारा मृतक के घर के बाहर छोड़ आए.
मोहम्मद यूसुफ की सोमवार देर रात मृत्यु हो गई थी। मृतक परिजनों ने अश्विनी बाजार स्थित कब्रिस्तान में विधि-विधान से मृतक को दफना दिया, अंतिम संस्कार के बाद कब्रस्तान कमेटी के पदाधिकारी कब्रिस्तान पहुंचे तथा मृतक को सुन्नी मुसलमान नहीं होने के कारण दफनाने का विरोध करते हुए दफन शव को बाहर निकालकर वाहन द्वारा मृतक के घर के बाहर छोड़ आए.
अचानक वापस लाए गए शव को देखकर परिजन स्तब्ध रह गए। मृतक मूल रूप से मंदसौर (मध्यप्रदेश) का निवासी था परंतु विगत 60 वर्षों से उदयपुर में ही निवासरत है, मृतक के पुत्र एडवोकेट हामीद कुरैशी ने टेलीफोन पर बताया कि यह घटना सचमुच स्तब्ध करने वाली एवं अमानवीय है। लेकिन हम कानून-व्यवस्था बनाए रखने की दृष्टि से शव को लेकर अपने पैतृक शहर मंदसौर पहुंच गए है जहां मेरे पिता का पुन: दफन किया जाएगा,
उन्होंने बताया कि साठ वर्षो से उदयपुर में रहते हुए समाज के सभी लोग हमारे हर काम में शामिल हुए और हम भी शामिल रहे लेकिन इस घटना ने हमें झकझोर कर रख दिया है.
बहरहाल मजहब की आड़ में हुई इस घटना ने मानवीय दृष्टि से मानवता को निश्चित रूप से शर्मसार किया है जिस पर भविष्य में एक सार्थक बहस की जरूरत होगी, ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या उन्होंने कभी यह नहीं सोचा कि ऐसा करने से समाज किस ओर जाएगा, और क्या उनकी रत्ती भर भी इंसानियत नहीं जागी,,
बहर हाल सही मायने में जिसने भी यह कृत्य किया है, वह इंसान हो ही नहीं सकता है.
ना समझ दुनिया भी ये कैसी नादानी करती है।
जात धर्म को ताक में रख अपनी मनमानी करती है।
दो गज जमीन दी है उसने फैसला वही करेगा,, रहीम,,
जिसने भी किया है उसकी यह फितरत शैतानी लगती हैं।
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