नई दिल्ली- श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से आयोजिइत विश्व सांस्कृतिक समारोह को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को
संसद में विश्व सांस्कृतिक समारोह को लेकर जमकर हंगामा हुआ। बता दें कि दिल्ली में यमुना नदी के डूब क्षेत्र में इस भव्य कार्यक्रम के लिए मंच पूरी तरह सज चुका है, लेकिन राज्यसभा में आज कांग्रेस और जेडीयू ने इस आयोजन को लेकर सवाल उठाए। जेडीयू नेता शरद यादव ने राज्यसभा में श्री श्री रविशंकर मुद्दे को लेकर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि क्या श्री श्री रविशंकर कानून से ऊपर हैं। इस बीच खबर आ रही है कि आर्ट ऑफ लिविंग संस्था ने 5 करोड़ जुर्माने में से 25 हजार की रकम जमा करा दी है। वहीं एनजीटी ने संस्था को जुर्माने की बची हुई रकम चुकाने के लिए 1 महीने की मोहलत दे दी है। केंद्रीय मंत्री नायडू ने किया महोत्सव का समर्थन उधर, केंद्रीय मंत्री एम. वैंकेया नायडू ने आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से यमुना किनारे उसके डूब क्षेत्र पर आयोजित किए जा रहे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का समर्थन किया और इस आयोजन से जुड़े विवादों को खारिज करते हुए कहा कि इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। नायडू ने कहा कि यह कार्यक्रम सांस्कृतिक विविधताओं का उत्सव है और यह भारत को प्रसिद्धि दिलाएगा। उन्होंने सेना की ओर से पुल बनाए जाने को लेकर की जा रही आलोचना पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि पिछली सरकारों के दौरान ऐसे कई उदाहरण है जब कुंभ जैसे भारी जनसम्मेलन वाले आयोजनों में सेना की मदद ली गई। जुर्माना देने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग ने मांगा था समय बता दें कि आर्ट ऑफ लिविंग ने विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन के लिए पांच करोड़ रुपए चुकाने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। एनजीटी ने महोत्सव के आयोजकों को यमुना नदी को नुकसान पहुंचाने के एवज में पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रुप में पांच करोड़ रुपए जमा कराने को कहा था। यह रकम जमा करने के लिए आयोजकों को शुक्रवार शाम पांच बजे तक का समय दिया गया था और कहा गया है कि ऐसा नहीं करने पर कार्यक्रम रोका जा सकता है। एनजीटी के कड़े रुख पर आर्ट ऑफ लिविंग ने कहा था कि वह एक कल्याणकारी संस्था है और इतने समय में 5 करोड़ रुपए की व्यवस्था करना पाना आसान नहीं है। ऐसे में संस्था ने एनजीटी में अर्जी दाखिल कर कम से कम चार सप्ताह की मोहलत मांगी थी। वहीं संस्था की ओर से 25 हजार रुपए चुका देने पर एनजीटी ने एक महीने की मोहलत दे दी है। इससे पहले एनजीटी ने संस्था से पूछा कि क्या रविशंकर की ओर से ऐसा कहा गया था कि जुर्माना देने के बजाए वह जेल जाना पसंद करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार एनजीटी ने कहा कि श्री श्री रविशंकर से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
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