हो सकते।
कन्हैया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अपनी सफाई में कहा कि टैक्स देने वालों के पैसे का सही उपयोग हो रहा है और जेएनयू में पढ़ने वाला देशद्रोही नहीं हो सकता। कन्हैया ने उसका साथ देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद बोलते हुए कहा कि रोहित वेमुला की शहादत बेकार नहीं जाएगी। जेएनयू ने देश को ढाई हजार राजनयिक दिए और यहां टैक्स देने वालों के पैसे का सही उपयोग हो रहा है। जेएनयू छात्र देश को बनाने का काम करते हैं, संविधान के दायरे में रहकर विरोध करते रहेंगे।
पीएम को लेकर कन्हैया ने कहा कि आपसे कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है, वैचारिक मतभेद हैं, मनभेद नहीं है इसलिए मन की बात नहीं कर रहे हैं। संवैधानिक दायरे के बाहर जो चीज है उसका कभी जेएनयू ने समर्थन किया है और ना करेगा।
कन्हैया ने आगे कहा कि कुछ चैनलों ने जेएनयू की छवि खराब की है। 9 फरवरी को जो हुआ उसकी हम कड़ी निंदा करते हैं। यह कोर्ट पर निर्भर है कि यह राजद्रोह था या नहीं, हमें कानून पर भरोसा है।
एक सवाल के जवाब में कन्हैया ने कहा कि मैं छात्रों का चुना हुआ प्रतिनिधी हूं, मैं कोई नेता नहीं हूं। मैं आगे चलकर टीचर बनना चाहता हूं। अफजल गुरु को लेकर कहा कि मैं उसे अपना आईकॉन नहीं मानता लेकिन संविधान के हिसाब से वो इस देश के नागरिक था। मेरे लिए आईकॉन राहित वेमुला है। कोर्ट ने जो जमानत के वक्त निर्देश दिए वो मेरा जिवन जीने का तरीका है.
कन्हैया ने कहा कि मेरे लिए भगत सिंह आइकॉन है। रोहित वेमुला आइकन हैं। मेरे लिए अलग अलग सिंबल गढ़ा गया। जो तथाकथित ताकतवर लोग हैं, वो दरअसल कमजोर हैं, जबकि हम ताकतवर लोग हैं। मैं एक विद्यार्थी हूं। साधारण परिवार से आता हूं। एक विद्यार्थी का जो कर्तव्य होना चाहिए, उसी के नाते कार्यरत हूं।मेरी भारत माता सिर्फ चमकदार साड़ी नहीं पहनती: कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के अधयक्ष कन्हैया कुमार जेल से बाहर आने के बाद सीएनएन/आईबीएन से एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बोले कि मेरे लिए भगत सिंह आइकॉन है। रोहित वेमुला आइकन हैं। मेरी भारत माता गोरी भी है और काली भी.
देशद्रोह के आरोपी और जेएनयू छात्र संघ के अधयक्ष कन्हैया कुमार के जेल से बाहर आने के बाद अपनी बात को असरदार तरीके से रखते हुए कहा कि मेरे आदर्श रोहित वेमुला है न कि अफजल गुरु।कन्हैया ने कहा कि जेल से छूटने के बाद मिलने के लिए मेरी मां दिल्ली नहीं आई, बल्कि चाचा और भाई आए थे। उन्होंने कहा कि घबराना मत। समय में एक शक्ति होती है। कोई भी दिन हमेशा नहीं रहता। जैसे मोदी जी के अच्छे दिन नहीं आए, वैसे ही आपके भी हमेशा बुरे दिन नहीं रहेंगे। मोदी जी बहुत ताकतवर लोग हैं। सवा सौ करोड़ लोगों के आदमी हैं। वो सूट बूट वाले आदमी हैं। हम आमने-सामने तब होते हैं जब रोजगार नहीं देते। 15 लाख नहीं देते। फेलोशिप बंद हो जाती है, तब लड़ते हैं.
कन्हैया ने कहा कि मैं अपनी तरफ से कोई बड़ी या छोटी लाइन नहीं खींच रहा हूं। बनी हुई लाइन के बारे में बोल रहा हूं। मुझे अगर दो दल बताएंगे तो उन्हीं के बीच तुलना करूंगा। लेकिन ये नहीं कहूंगा कि एक का तीसरे से क्या संबंध है। बेबाक अंदाज में कन्हैया ने कहा कि आज हमारे संविधान के पिलर को तोड़ा जा रहा है। चाहे असहिष्णुता का सवाल हो, असल मुद्दे से भटकाने की बात हो या मंदिर-मस्जिद की बात हो। देशद्रोह के आरोप पर कन्हैया ने कहा कि सेडिशन का तकनीकी मतलब है राजद्रोह, ये देशद्रोह नहीं होता। ये इसलिए बोला जा रहा, ताकि असल मुद्दों से भटकाया जा सके.
असली मुद्दे से भटकाने की कोशिश है।अपनी विचारधारा के बाबत कन्हैया ने कहा कि मेरी जो सोच है, वो सोच डिस्कवरी ऑफ इंडिया से आती है। मेरे हिसाब से भारत माता सिर्फ गोरी नहीं, काली भी होगी। फटे कपडे भी होंगे, सलवार भी होगा। आदिवासियों का कपड़ा भी होगा। आरएसएस पर हमला करते हुए कन्हैया ने कहा कि इस समय जो एक तरह की विचारधारा और सोच बनाने की साजिश हो रही है, मैं उसको नेशनलिज्म नहीं, संघिज्म कहूंगा। संघिज्म का मतलब देश की विचारधारा नहीं, बल्कि एक खास विचारधारा कहेंगे.
कन्हैया ने कहा कि मैं जेएनयू का एक छात्र हूं। जो छात्र यहां पढ़ते हैं, उनका एक साधारण सा प्रतिनिधि हूं। मेरी जिम्मेवारी फिक्स करने के बदले उन्हें अपनी जिम्मेदारी फिक्स करनी चाहिए। कन्हैया ने कहा कि जो नारे लगा रहे हैं, वो गलत हैं। लेकिन क्या ऐसे नारे लगाने से देश टूट जाएगा? मैं बेहद साधारण परिवार से आता हूं। पढ़ाई में ये सिखाया जाता है कि जो कमजोर है, उसके लिए लड़ना चाहिए।हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला पर कन्हैया ने कहा कि उसकी हत्या हुई। कुछ लोग इसे आत्महत्या कहते हैं। इस घटना के बाद पैदा हुए डर ने ही मुझे ताकत दी है, ये व्यवस्था यानी ये सरकार अपने ही लोगों को मरने पर विवश करती है.
अफजल गुरु के मुद्दे पर कन्हैया ने कहा कि न मैं सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस हूं, न मैं नेता हूं, न उनका रिश्तेदार हूं? लेकिन सैद्धांतिक तौर पर डेथ पेनाल्टी के हम अगेंस्ट हैं, एबीवीपी पर कन्हैया ने कहा कि एवीबीपी रूढ़िवादिता का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन है, बाकी प्रगतिशील हैं। हममे भी मतभेद हैं। लेकिन एक जगह पर सारे लोग खड़े होते हैं।इस देश के अंदर एक गंभीर वैचारिक संकट पैदा हुआ है। ये काफी हद तक मीडिया की वजह से आया है.
समस्या पर बातचीत न हो, इसके लिए सुपरफिशियल चीजें उठाई जाती हैं, जो देश, संविधान से सचमुच प्यार करते हैं वो इस खतरे को महसूस करते हैं। इसलिए आइडियॉलॉजिकल बाउंड्री खत्म हो रही है। यूनिटी बन रही है। यूनिटी को बनते हुए देखना मुझे आसान लगता है। इंटरव्यू के अंत में कन्हैया ने कहा कि तमाम लोगों को शुक्रिया जो मेरे समर्थन में खड़े हुए। जो मेरे लिए खड़े हुए वो देश के लिए खड़े हुए हैं। मैं नेता बनने नहीं जा रहा। मैं विद्यार्थी हूं।
साभार-एजेंसी
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