चाहिए पर पूरे देश को इनटोलरेंट (असहिष्णु) कहना ग़लत है.
ग़ौरतलब है कि असहिष्णुता पर भारत में चल रही बहस के दौरान अनुपम खेर ने पहले दिल्ली में एक मार्च निकाल कर असहिष्णता पर चिंता जताने वालों और अवार्ड वापस करने वाले लेखकों की कड़ी आलोचना की थी. कई टीकाकारों ने इसे सत्ताधारी भाजपा के पक्ष में निकाले गए मार्च के तौर पर देखा था.
खेर का ताज़ा बयान 'कलकत्ता क्लब द टेलीग्राफ़ नेशनल डीबेट' में बहस के दौरान आया और सोशल मीडिया पर काफ़ी समय से टॉप ट्रेंड है, इस बहस में कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने पहले बोलते हुए बीफ़, अल्पसंख्यकों, रेप और महिलाओं से संबंधित बाबूलाल गौर और आरएसएस के मोहन भागवत के बयानों और भाजपा नेताओं के कई अन्य विवादित बयानों की लिस्ट पढ़ी और देश के हालात पर चिंता जताई थी.
अनुपम खेर ने भाजपा के बारे में कहा, "कुछ ऐसे लोग हैं पार्टी में....चाहे वो साध्वी हैं, चाहे योगी हैं या कोई और हैं...उनको अंदर करना चाहिए, डांटना चाहिए, निकाल देना चाहिए. लेकिन आप ऐसे लोगों के नाम पर पूरे देश को असहिष्णु घोषित कर रहे हैं.
कन्हैया का नाम लिए बिना खेर ने कहा, "हम ऐसे लड़के को हीरो बना रहे हैं जो 9 फरवरी की रात को हुए कार्यक्रम में शामिल था. जहां भारत विरोधी नारे लग रहे थे, खेर ने आरोप लगाया, बहुमत से चुनी गई मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए बुद्धिजीवियों ने असहिष्णुता शब्द निकाला. हीरे के स्टड पहनने वाले लोग शैंपेन का ग्लास थामकर कहते हैं भारत असहिष्णु हो गया है. अमरीका में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार मुसलमानों पर प्रतिबंध की बात करता है, वो असहिष्णुता है और वो डरावना है.
उन्होंने आरोप लगाया कि जो भी व्यक्ति मोदी के समर्थन में बोल रहा है उसे बदनाम किया जा रहा है, खेर ने कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेसी देश में सबसे सहिष्णु लोग हैं. राहुल पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा, "आप 46 साल के आदमी को यूथ आइकॉन बोलते हैं, शनिवार रात को हुए इस कार्यक्रम के बाद से ही अनुपम खेर ट्विटर पर भी ट्रेंड कर रहे हैं.
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