एनजीटी को आज जवाब सौंपेगा पर्यावरण और वन मंत्रालय


Mar 09, 2016 
नई दिल्ली- आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के विवादित विश्व संस्कृति महोत्सव के आयोजन पर संशय के बादल छा गए हैं। यमुना किनारे 11 से 13 मार्च तक होने वाले इस महोत्सव में शिरकत करने से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पहले ही इन्कार कर चुके हैं। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी इसका उद्घाटन करेंगे या नहीं, इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। मंगलवार को महोत्सव के खिलाफ दायर याचिका पर नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र सरकार से पूछा है कि महोत्सव को पर्यावरण मंजूरी क्यों नहीं चाहिए। एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार ने पर्यावरण एवं वन मंत्रलय को बुधवार तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

मंत्रालय के अधिवक्ता ने एनजीटी को बताया कि आयोजन स्थल पर मलबा नहीं मिला है। नियमों के अनुसार, यमुना के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में अस्थायी निर्माण के लिए अनुमति नहीं चाहिए। एनजीटी ने महोत्सव स्थल पर सेना द्वारा बनाए गए पैंटून पुल पर भी सवाल खड़े किए। एनजीटी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से पूछा कि इस पुल को बनाने की अनुमति किसने दी। डीडीए ने कहा कि उसके पास केवल अनापत्ति पत्र देने का अधिकार है.

वहीं, दिल्ली सरकार ने बताया कि केवल बाढ़ आने पर पुल बनाने को लेकर उसकी जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा जल संसाधन मंत्रलय इसकी अनुमति देता है। इस पर जल संसाधन मंत्रलय ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। अगली सुनवाई नौ मार्च को होगी.

सुरक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल
एनजीटी ने महोत्सव की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पैंटून पुलों पर कार, बस आदि वाहन कैसे चलेंगे। कार्यक्रम स्थल पर नींव कैसे बन रही है। डीडीए ने बताया कि नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) ने आयोजन स्थल का दौरा किया है। किसी तरह की खोदाई नहीं हुई है, पिलर प्लेट पर बनाए जा रहे हैं। इस पर एनजीटी ने कहा कि पिलर प्लेट पर कैसे खड़े हो सकते हैं, प्लेट के बारे में जानकारी दी जाए.

उप्र सरकार पर नाराजगी जताई
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि किन नियमों के तहत आयोजनकर्ताओं को पार्किंग क्षेत्र आवंटित किया गया है। क्या पार्किंग यमुना के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में आती है? आयोजनकर्ताओं ने क्या आवंटित जगह से आगे पार्किंग क्षेत्र बढ़ाया है? पार्किंग स्थल से मलबा हटाने में कितने पैसे खर्च हुए हैं? उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने कहा कि महोत्सव स्थल पर मलबा नहीं मिला है। ऐसे में मलबा हटाने के लिए पैसे खर्च करने का सवाल ही नहीं उठता.

11 मार्च से होना है आयोजन
श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग के 35 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 11 से 13 मार्च तक यमुना किनारे (मयूर विहार फेज-1) विश्व संस्कृति महोत्सव का आयोजन होना है। महोत्सव के खिलाफ यमुना जिए अभियान एनजीओ के संयोजक मनोज मिश्र समेत अन्य पर्यावरणविदों ने याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि महोत्सव स्थल पर एनजीटी के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। एनजीटी ने यमुना के बाढ़ग्रस्त इलाकों में किसी भी तरह के निर्माणकार्य पर रोक लगाई है.

आएंगे 155 देशों के लोग
महोत्सव में करीब 155 देश के कई लाख लोगों के आने की संभावना जताई जा रही है। इसमें राष्ट्रपति को भी सम्मिलित होना था, लेकिन कार्यक्रम के विवादों से घिरने पर उन्होंने आना स्थगित कर दिया.

गृह मंत्रालय ने दिए निर्देश
गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को महोत्सव की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने का निर्देश दिया है ताकि भगदड़ जैसी स्थिति न बन सके.

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