कानपुरिया बच्चों के साथ अजीब सी समस्या सामने आई है, इसका खुलासा मण्डलीय मनोविज्ञान के ताजा वार्षिक रिपोर्ट में हुआ। सैकड़ों बच्चे ऐसे पाए गए हैं जिनका आईक्यू तो बेहद तेज था लेकिन पढ़ाई में वे बच्चे दूसरे बच्चों के मुकाबले बेहद कमजोर हैं। जानकार मानते
हैं कि ऐसे बच्चे अपने घरेलू हालात और शिक्षकों के लापरवाहीपूर्ण रवैये से बेहद खफा रहते हैं। इसकी वजह से वे पढ़ाई में पीछे लेकिन इसके अलावा हर कार्य में अन्य दूसरे बच्चों के मुकाबले अव्वल होते हैं.
सर्वे में 166 बच्चे तेज आईक्यू के बावजूद पढ़ाई में बहुत कमजोर पाए गए है। जिनमें शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों के बच्चे भी शामिल है। ऐसे बच्चों को संवेदात्मक व्यवहार की बेहद जरूरत होती है।
यदि इन बच्चों को अभिभावक डांटते हैं तो बच्चों का मन पढ़ाई से और दूर हो जाता है। कनपुरिया की ठेंट भाषा में ऐसे बच्चों को 'कलाकार' शब्द से नवाजा जाता है। अभिभवकों को खासतौर पर बच्चों में पाए जाने वाले इस तरह के व्यवहार को भांपकर उनकी रुचि जिस कार्य में हो उस कार्य की ओर उनका कॅरियर निर्धारित कराना चाहिए। यदि ऐसा संभव हुआ तो ऐसे बच्चे अपने क्षेत्र के अन्य दूसरे बच्चों से काफी आगे निकलेंगे।
इनको किया सर्वे में शामिल
विद्यालयों की संख्या - 8
बच्चों की संख्या - 456
छात्राओं की संख्या - 237
छात्रों की संख्या - 219
ग्रामीण आंचल के विद्यार्थी - 251
ग्रामीण छात्रों की संख्या - 92
छात्राओं की संख्या - 251 यह दिए सुझाव
कभी भी बच्चों में तुलना न करे, इससे उनका विकास रुक जाता है
हर बात पर बच्चों को डांटने फटकारने से उनमें नकारात्मकता आती है
घर में मौजूद हर बच्चों में संतुलित दृष्टिकोंण रखे, इससे उनमें विकास होता है
यदि बच्चे को किसी तरह की दिक्कत है तो उसकी बातों को ध्यान से सुने
बच्चे से यदि कोई गलती हो गई है तो उसको पहले ध्यान से समझाएं
गलती पर बच्चा परेशान है तो उसे यह एहसास दिलाए कि परिवार उसके साथ है
बच्चे को समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एहसास कराए, उसके विचारों को सराहे
बच्चों का समुचित विकास सिर्फ पढ़ाई से नहीं होता, इसलिए बच्चों के साथ घूमना भी चाहिए
बच्चों के साथ तानाशाही नहीं बल्कि दोस्त की व्यवहार करना चाहिए
परीक्षा के दौरान घर का माहौल सामान्य रखना चाहिए, अधिक पढ़ाई का दबाव न डाले.
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