" कड़वा सच "
" दुनियाँ मैं बलात्कार की सजाओं पर एक नज़र "
अमेरिका :
उम्रकैद या 30 साल की सज़ा दी जाती है।
रूस :- 20 साल की कठोर सजा.
चीन - No Trial, मेडिकल जांच मे प्रमाणित होने के बाद मृत्यु दंड.
पोलेंड - सुअरों से कटवा कर मौत Death thrown to Pigs
- इराक - पत्थरो से मार कर हत्या .Death by stone till last breath
- ईरान - 24 घंटे के अंदर पत्थरो से मार दिया जाता है या फाँसी
- दक्षिण अफ्रीका : 20 साल की जेल
- सऊदी अरब : फाँसी या यौनांगों को काटने की सजा
- मंगोलिया - परिवार द्वारा बदले स्वरुप मृत्यु Death as revenge by family
- नीदरलैंड- : यौन अपराधों के लिए अलग-अलग सजा बताई गई है।
- कतर - हाथ,पैर,यौनांग काटकर पत्थर मार कर हत्या
- अफ़गिनिस्तान - 4 दिनो के अंदर सर मे गोली मार दिया जाता है.
- मलेशिया - मृत्यु दंड Death Penalty
- कुवैत - सात दिनो के अंदर मौत की सजा.
- इंडिया -धरना-प्रदर्शन
- जांच आयोग
- समझौता
- रिश्वत
- लड़की की आलोचना
- मिडिया ट्रायल
- राजनीतिकरण
- जातिकरण
- पहले ज़मानत सालो बाद चार्जशीट सालो तक मुकदमा अपमान एवं ज़लालत और आख़िर मे दोषी का बच निकलना.
- यदि आप सहमत है तो Share करें और आपके क्या लगता है क्या सजा होनी चाहिये इन दरिन्दो की... ?
- एक रेड लाईट एरिया मे क्या खूब बात लिखी पाई गई..कि "यहाँ सिर्फ जिस्म बिकता है,
- ईमान खरीदना हो तो अगले चौक पर 'पुलिस स्टेशन' हैं .
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- आप चाहते हैं, कि आपकी तानाशाही चले और कोई आपका विरोध न करे..
- तो आप भारत में न्यायाधीश बन जाइये,
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- आप चाहते हैं, कि आप लोगों को बेवजह पीटें लेकिन कोई आपको कुछ न बोले..
- तो आप पुलिस वाला बन जाइये,
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- आप चाहते हैं, कि आप एक से बढ़कर एक झूठ बोलें अदालत में, लेकिन कोई आपको सजा न दे, तो आप वकील बन जाइये,
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- आप चाहते हैं, कि आप खूब लूटमार करें, लेकिन कोई आपको डाकू न बोले, तो आप भारत में राजनेता बन जाइये,
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- आप चाहते हैं, कि आप दुनिया के हर सुख मांस, मदिरा, स्त्री इत्यादि का आनंद लें, लेकिन कोई आपको भोगी न कहे, तो किसी भी धर्म के धर्मगुरु बन जाओ.
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- आप चाहते हैं, कि आप किसी को भी बदनाम कलर दें, लेकिन आप पर कोई मुकदमा न हो, तो मीडिया में रिपोर्टर बन जाइये,
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- यकीन मानिऐ जनाब कोई आप का बाल बाँका नहीं कर पाएगा.
- भारत में, हर बुरे काम के लिए एक वैधानिक पद उपलब्ध है.
- इसीलिए कहलाता है "सौ मैं न्नािनवें बेईमान फिर भी मेरा भारत महान". ..
- " सच की जीत "
- सम्पादक- एस एम फ़रीद भारतीय
- एनबीटीवी इंडिया न्यूज़
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