रियाजुल हक
जौनपुर- क्या महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने देगी पितृसत्ता? प्रदेश में यूपी बोर्ड की परीक्षा चल रही हो और कुछ अजूबा देखने को नहीं मिले ये तो हो ही नहीं सकता, पेपर था इतिहास का और छात्राएं भी 'इतिहास" रचने में जुट गयी। जिले के सिंगरामऊ क्षेत्र के एक केंद्र पर
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सामूहिक नकल कराया जा रहा था। अभी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बीते दो दिन भी नहीं हुए कि पितृसत्ता के एक बड़ा मामला सामने आया है.
जहां पर उनके द्वारा उन्हीं की मदद से महिलाओं को मानसिक रुप से कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस सामूहिक नकल से एक बात तो साफ हैं कि इस शिक्षा से न तो वह अपने हक की लड़ाई लड़ पाएंगी। सवाल यह भी उठता है कि आखिर उड़ाका दल की टीम क्या कर रही है? क्या इन केंद्रों के बारे में उनकी जानकारी भी नहीं है? क्या इस महाविद्यालय द्वारा गुणा-गणित कर अपने केंद्र पर उड़ाका दल की टीमों को भेजने से मना किया है? फिलहाल जो भी ये मामला शर्मसार करने वाला है.
गौरतलब हो कि सिंगरामऊ क्षेत्र के एक केंद्र पर इण्टरमीडिएट की परीक्षा के प्रथम पाली में इतिहास की परीक्षा थी जहां नकल माफियाओं ने इतिहास रचने में तनिक भी कसर नहीं छोड़ी और छात्राओं को सामूहिक नकल कराने में जुट गये। नजारा ऐसा लग रहा था कि मानो लंच के बाद छात्राएं एक दूसरे से डिस्कशन कर रही हो। मोटी रकम लेने के बाद उन्हें बेझिझक, निडर होकर इस तरह से नकल करायी जा रही थी कि मानों उनकी क्लास चल रही हो.
यूपी बोर्ड की इस परीक्षा में प्रशासन भी निष्क्रिय मालूम पड़ता है। महिला दिवस पर महिलाओं को सशक्त करने वाले भी मौन है। आखिर महिलाओं को आत्मनिर्भर क्यों नहीं बनने दिया जा रहा है? नकल करने से वह अच्छे अंकों से पास तो हो जाएंगी लेकिन क्या वह अपने विषय के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त कर सकेंगी? जब उन्हें यह पहले ही पता रहता है कि वहां पर नकल तो होगा ही तो क्या वह पढ़कर आती होंगी? नकल माफियाओं और छात्राओं के परिजन समेत पितृसत्ता का यह समाज उनके लिए एक बड़ी चुनौती है जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकेगा।
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