डॉ. गोदारा ने बैठक को संबोधित करते हुए बोला की देश के अंदर बामपंथी विचारधारा के लोग देश को अंदरुनी रूप से खोकला कर रहे है जिनका नया लक्ष्ये देश के युवा है। बामपंथी जो युवाओ का ब्रेन वाश कर के देश के विरोधी बना रहे है। अब इनका नया हतियार है असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात कर के देश के खिलाफ माहोल बनाना। जिसकी सुरुवात आज से 8 महीने पहले कुछ फिल्म-स्टार्स से देश को असहिष्णुता कहलवाने से हुई थी। फिर 9 फरवरी की शाम को एक योजना वध तरीके से पुरे देश की 10 से भी अधिक विश्वविद्यालयों में अफजन गुरु जैसे आतंकवादियों का सहादत दिवस बनाना और देश के विरोध में नारे लगाना था.
जिसकी शुरुआत JNU से की गई, दिल्ली से निकली देश के खिलाफ आग ने पुरे देश में अपनी जगह बनाई और देश की कई यूनिवर्सिटी में बामपंथी विचारधारा के विद्यार्थियों के द्वारा देश के खिलाफ प्रदर्शन किये, और सबसे दुर्भाग्ये जनक रहा कुछ संवेधानिक पदो पर आसीन नेताओ की टोली और कुछ मीडिया समूहों का उन विद्याथियों को एक नायक के रूप में देश में पर्दर्शित करना और तो और देश के खिलाफ बोलने वाले कन्हैया कुमार को जब अदालत ने 6 महीनो के लिए जमानत दी तो मीडिया ने उसको इस तरह से पेश किया की मानो कन्हैया को अदालत ने आरोप मुक्त ही कर दिया हो और वो कोई जंग जीत कर आया हो पुरे देश में 1 घंटे तक उसके भासन को लाइव दिखाया गया जिस तरह पुरे देश का एक नायक देश को सम्बोधित कर रहा हो.
हद तो तब हो गई जब कुछ न्यूज़ चैनल्स ने उस देशद्रोही की तुलना प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी जी से कर दी और उसको भविष्ये का नेता भी घोषित कर दिया, साथ ही आम आदमी का चोला ओढ़कर दिल्ली के मुख्येमंत्री बने केज़रीवाल जी ने तो उसको क्लीन चिट ही देदी.
शायद उनको कोर्ट के आदेशो को ध्यान से पढ़ना चाहिए था, कोर्ट ने कन्हैया पर IPC की धारा 124-A/120-B/34/147/149 के तहत मुकदमा दर्ज किया है, धारा 124A का अर्थ है राजद्रोह / देशद्रोह, धारा 120B का अर्थ है आपराधिक गतिविधियों की योजना बनाना.
धारा 34 का अर्थ है एक इरादे के तहत सामूहिक रूप से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देना, धारा 147 का अर्थ है दंगे के लिए सजा, धारा 149 का अर्थ है अवैध समूह के हर सदस्य को अपराध का दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए, और उसका मामला कोर्ट में विचाराधीन है परन्तु न जाने क्यों केज़रीवाल जी जैसे ढेरो नेता देशद्रोह के आरोपी को क्लीन चिट देने पर आमादा है, शायद ये सभी नेता मोदी और बीजेपी का विरोध करते करते देशद्रोहियो का सहारा बन चुके है.
मै कविता के 2 पंक्तियों द्वारा उनको जबाब देना चाहती हुँ।
ना दूध देंगे न खीर देंगे देश की अखंडता को खराव करने के कोशिश की तो चीर देंगे.
ये तो हमारे ही देश के नेताओ का तुमको सहारा है तभी देशद्रोहियों नाम तुम्हारा है
मिटा देंगे तुमको देश में से जल्दी ही याद रखना के हिंदुस्तानी नाम हमारा है.
कश्मीर हो या गोहाटी अपना देश अपनी माटी.
डॉ. मीनू गोदारा,प्रदेश छात्र प्रमुख, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हरियाणा
साभार- न्यूज़ एजेंसी
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