जब तक जान बाकी है कोशिश करता रहुंगा-एस एम फ़रीद भारतीय

मैं बड़े ही फ़क्र से कहता हुँ कि मैं हिन्दोस्तानी हुँ ओर मुस्लमान हुँ. 
लेकिन मुझको अफ़सोस तब होता है जब मुस्लिमों पर जुल्म करने वाले मुस्लिमों को ही बदनाम करते हैं ओर हमारे देश के नेता जो मुस्लिम हमदर्द होने का दम तो भरते हैं लेकिन मुस्लिमों के लिए कोई ठोस क़दम कभी इन नेताओं ने उठाया हो मुझको याद नहीं?

जो भी केन्द्र सरकार ओर राज्यों की सरकारों ने मुस्लिमों को दिया है वो सब ज़रूरत के हिसाब से मुस्लिमों का अपने काम के लिए ज़रूरत के लिए इस्तेमाल से ज़्यादा कुछ

नहीं है, लेकिन मेरी क़ौम का सीधापन देखो वो उस ज़रूरत को सरकार का अहसान मानकर अपने वजूद को खोये बैठी है.
मुझको आज तक कोई ऐसा नहीं मिला जो ये कहे कि मुस्लिमों को अपना वजूद कायम करना चाहिए, सिवा एक दो इंसान के एक बार तो पासवान जी इशारा कर गये थे कि मुस्लिम को हुकुमत से भारत का संविधान नहीं रोकता रोकता है ख़ुद मुस्लिम जो पिछलग्गू बना है.
दूसरे जस्टिस सच्चर साहब ने कहा था कि जब तक मुस्लिम अपने वजूद के लिए नहीं जागेंगे ऐसा ही होता रहेगा मुस्लिमों के साथ.
अब क्या किया जाये कैसे समझाया जाये अपनी इस क़ौम क्या किया जाये कि ये समझने लगे कि अब तक जो हमने किया वो सिर्फ एक धोखा था, हमारी मुहब्बत से खिलवाड़ ओर मज़ाक़ था, हमारे लाखों लोग अपनी जान कुर्बान कर चुके हैं दंगों मैं देश की सियासत की ख़ातिर क्यूं, कौन था इसका जिम्मेदार, क्यूं किया ये सब हमारे साथ, क्या मिला हमको ओर आगे भी क्या मिलने वाला है?
क्यूं भूल जाते हैं हम कि हमारी क़ुर्बानियों का यहां तब तक कोई सिला नहीं देगा जब तक हम अपने वजूद की लड़ाई एक बार अपने लिए नहीं लड़ेंगे, सोचो जो लोग या नेता या पार्टियां हमको भाजपा का डर दिखाया करती थीं आज वो कहां है ओर भाजपा कहां है?
क्या हमने भाजपा को आगे करने मैं कभी भाजपा का साथ दिया, नहीं ना तब आज भाजपा यहां तक कैसे पहुंची?
मैं समझाता हुँ ये सब क्यूं ओर किसके इशारे पर हुआ भाजपा संघ की सबसे तेज़ विंग है राजनीतिज्ञ ओर बाकी कई विंग हैं शिव सेना, बजरंगदल, विश्वहिन्दु परिषद वगैरा.
लेकिन राजनीति मैं भारतीय जनता पार्टी सबसे मुख्य दल है संघ का ओर इस दल को ज़िंदा रखने का काम कांग्रेस की बड़ी ज़िम्मेदारियों मैं से एक ज़िम्मेदारी थी, जो कांग्रेस बाख़ूबी निभाते चली आ रही थी या यूं कहो कि है.
अब देखो आज सत्ता की डोर किसके हाथ है भाजपा के ओर क्यूं है, सोचा कभी नहीं कांग्रेस की कमज़ोरी की वजह ओर सत्ता बदली की वजह से ?
कुछ कहेंगे कि ये कांग्रेस पर इलज़ाम है सीधा सीधा ओर कहूंगा ये इल्ज़ाम नहीं भाजपा ओर कांग्रेस दोनों की साज़िश का नतीजा ओर दलितों, मुस्लिमों के ये दिखाना भी कि तुम जहां वजूद मैं हो वहां से तुम बिल्कुल बेवजूद साबित हो जाओगे एकता के बाद भी?

ताज़ा लोक सभा चुनावों को याद करो क्या हुआ है ओर क्यूं ओर कैसे हुआ है, कहां है प्रदेश पर फ़ुल ताक़त से हुकुमत करके गई सरकार बसपा का क्या हुआ, कितनी सीट मिलीं कहां गई ताक़त क्यूं ?
यही मुस्लिम वोटों का सोचो एक दूसरी सरकार बड़े बहुमत से सत्ता मैं है ओर मुस्लिम यादव प्लस के गठजोड़ से सत्ता पर काबिज़ है उसके क्या मिला ओर क्यूं ?

ये सब साजिश की तरफ़ इशारा करते हैं ओर आप भी मेरी तरहां साजिश की बू को मेहसूस कर रहे होंगे लेकिन किसी नतीजे पर इस लिए नहीं पहुंचे कि सोचना छोड़ दिया ओर वक़्त से समझोता कर लिया.
लेकिन मैने ना सोचना छोड़ा ओर ना ही वक़्त से समझोता किया बस हालातों की कोड़ियों को जोड़ता गया तब कांग्रेस ओर भाजपा की साज़िशों की परते खुलकर सामने आने लगीं ओर वो साज़िशें क्या हैं क्यूं हैं जान लें आप सभी भी ओर होशियार हो जायें कि जो हो रहा सब हमारी ख़ातिर हो रहा है कि कहीं हम अपने वजूद के लिए ना जाग जायें.
तब देखें देश मैं लगातार दूसरी बार कांग्रेस यानि यूपीए की सरकार बनती है तमाम मुल्क की अवॉम सरकार के काम से ओर लीडर की क़ुर्बानियों से ख़ुश है, वहीं पीएम भी मौंन रहकर अपने कामों को अंजाम दे रहे हैं ओर लगातर देश को दुनियां के सामने पेश कर रहे हैं सब कुछ हंसीं ख़ुशी चलता रहता है.
पर एकदम से एक भूत बाहर निकलता है ओर वो है घोटालों का भूत ओर इस तरहां सामने आता है जैसे पहलीबार ये सब हो रहा हो, कांग्रेस को भाजपा घेरना शुरू करती है लेकिन सही तरीके से घेर नहीं पाती ओर कांग्रेस ख़ुद घोटालेबाज़ों पर लगाम कसनी शुरू कर देती है, अपने ही लोगों को ख़ुद सज़ा देती है पकड़ती है लेकिन एक बड़ी चूक भी करते रहती है.
वो चूक है पीएम का चेहरा वही रहना ?
लेकिन आज समझमें आ रहा है कि ये सब कांग्रेस की गेम प्लानिंग का हिस्सा थी, ओर कांग्रेस को मौक़ा देना था गरत मैं जा रही भाजपा ओर संघ को, वरना इतना सुनेहरा मौक़ा कांग्रेस अपने हाथ से नहीं छोड़ने वाली थी.
आज कांग्रेस ज़ोर लगा रही है राहुल को पीएम बनाने मैं, अरे भाई तब क्यूं नहीं बनाया जब सब कुछ आपके हाथ था? यानि जब सरकार मैं घोटाले की आवाज़ आई ओर आपने घोटालों को खोला भी, तब मौक़ा था कि पीएम की बागडौर मनमोहन जी से लेकर राहुल जी के हाथ मैं देती.
इसके दो फ़ायदे होते एक तो राहुल जी की छवि ये सामने आती कि इंसाफ़ पसंद हैं ओर कोई रहम नहीं है घोटालेबाज़ों के लिए, दूसरे ये कांग्रेस फिर से हुकुमत मैं आती ओर राहुल कद्दावर नेता बन सकते थे, लेकिन ऐसा ना होना था ना ही हुआ, क्यूंकि सोच तो संघ ओर भाजपा को जिंन्दा रखने की थी, ये भी एक तीर से दो शिकार ही है.
पहला विपक्ष मज़बूत सामने है, दूसरा मुस्लिमों को डराने के लिए संघ ओर भाजपा ही तो है वरना कौन है जिससे मुस्लिमों को डर हो.
अब आप देखें ओर निगाहों को खुली रखकर दौड़ाऐं कि मैं क्या लिखने जा रहा हुँ ओर क्यूं लिखने जा रहा हुँ,  ये सच है या सिर्फ मेरी सोच.
ये सब अगले लेख मैं लिखुंगा? क्यूं ज़िंन्दा है आज भाजपा. 
एस एम फ़रीद भारतीय

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