स्वच्छ भारत अभियान, निर्मल भारत अभियान का बदला नाम है इसकी शिक्षा इस्लाम से मिली गांधी जी को, जाने कैसे ?
मगर आज भारत मैं भारत को स्वच्छ करने की कम अपना नाम आगे बढ़ाने या दिखावे की कोशिशें ज़्यादा की जा रही हैं, नाम बदलते रहे अभियान दम तोड़ता रहा, भारत स्वच्छता अभियान जो नई बोतल मैं पुरानी शराब है, पहले ये निर्मल भारत अभियान हुआ करता था, जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना है, यह अभियान महात्मा गाँधी के जन्मदिवस 02 अक्टूबर 2014 को नाम बदलकर आरम्भ किया गया, महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था क्यूं दिया इसको छुपा लिया गया.
वहीं महात्मा गांधी के इस अभियान को कांग्रेस सरकार ने हज़ारों करोड़ ख़र्च कर चलाना तो शुरू किया लेकिन सब ये भूल गये कि गांधी जी को इसकी प्ररेणा कहां से मिली क्यूं कहा गांधी जी ने ओर क्या आज देश लाखों करोड़ ख़र्च करने के बाद भी इस समस्या से निजात पा सका है, नज़र डालते हैं इस पूरे अभियान पर बीते कल से आज तक पर ?
यूं तो स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य व्यक्ति, क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले शौच को कम करना या समाप्त करना है, स्वच्छ भारत मिशन लैट्रिन उपयोग की निगरानी के जवाबदेह तंत्र को स्थापित करने की भी एक पहल करेगा, मौजूदा सरकार ने 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत (यूएस $ 30 बिलियन) के 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है.
वैसे आधिकारिक रूप से 1 अप्रैल 1999 से शुरू, भारत सरकार ने व्यापक ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम का पुनर्गठन किया और पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) शुरू किया जिसको बाद में (1 अप्रैल 2012 को) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने निर्मल भारत अभियान (एनबीए) नाम दिया.
आज स्वच्छ भारत अभियान के रूप में 24 सितंबर 2014 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से निर्मल भारत अभियान का पुनर्गठन किया गया था.
निर्मल भारत अभियान (1999 से 2012 तक पूर्ण स्वच्छता अभियान, या टीएससी) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई समुदाय की अगुवाई वाली पूर्ण स्वच्छता (सीएलटीएस) के सिद्धांतों के तहत एक कार्यक्रम था, इस स्थिति को हासिल करने वाले गांवों को निर्मल ग्राम पुरस्कार नामक कार्यक्रम के तहत मौद्रिक पुरस्कार और उच्च प्रचार प्राप्त हुआ.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट किया कि मार्च 2014 में यूनिसेफ इंडिया और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने भारत सरकार द्वारा 1999 में शुरू विशाल पूर्ण स्वच्छता अभियान के हिस्से के रूप में स्वच्छता सम्मेलन का आयोजन किया, जिसके बाद इस विचार को विकसित किया गया.
स्वच्छ भारत अभियान 2 अक्टूबर 2014 को शुरू किया गया था, और 2019 तक खुले में शौंच को ख़त्म करना इसका उद्देश्य है। स्वच्छ भारत अभियान 4,041 वैधानिक शहरों और कस्बों को कवर करने वाला राष्ट्रीय अभियान है.
सरकार ने 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौंच मुक्त (ओडीएफ) भारत को हासिल करने का लक्ष्य रखा है,सरकार ने 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत (यूएस $ 30 बिलियन) के 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है.
प्रधानमंत्री ने अपने 2014 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में शौचालयों की जरूरत के बारे में बताया.
पीएम ने 2014 के जम्मू और कश्मीर राज्य चुनाव अभियान के दौरान स्कूलों में शौचालयों की आवश्यकता के बारे में भी बताया
मई 2015 तक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, महिंद्रा ग्रुप और रोटरी इंटरनेशनल सहित 14 कंपनियों ने 3,195 नए शौचालयों का निर्माण करने का वादा किया है, उसी महीने में, भारत में 71 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने 86,781 नए शौचालयों के निर्माण का समर्थन किया, हजारों भारतीय लोग अभी भी मानव मल धोने के कार्य में कार्यरत हैं.
नवम्बर 2014 में मनीषा कोइराला, स्वच्छ भारत अभियान के दौरान चयनित सार्वजनिक व्यक्ति मोदी ने इस अभियान का प्रचार करने के लिए 11 लोगों को चुना वो हैं ?
सचिन तेंडुलकर, प्रियंका चोपड़ा, अनिल अंबानी, बाबा रामदेव, सलमान खान, शशि थरूर, तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम, मृदुला सिन्हा, कमल हसन, विराट कोहली, महेन्द्र सिंह धोनी, ईआर. दिलकेश्वर कुमार व सिविल इंजिनियरिंग भारत के शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम के तूफान से प्रभावित बंदरगाह शहर को साफ करने के लिए झाड़ू उठाया था.
राज्ययोगी ब्रह्मकुमारी दादी जानकीजी, पवन कल्याण, एस पी बालासुब्रह्मण्यम, अमला (अभिनेत्री), के कविता, गुनुपति वेंकट कृष्ण रेड्डी, सुधाला अशोक तेजा, पुलेला गोपीचंद, हम्पी कोनेरू, गैला जयदेव, नितिन, वी.वी.एस. लक्ष्मण, जे रामेश्वर राव, शिवलाल यादव, बी वी आर मोहन रेड्डी, लक्ष्मी मांचू आदि.
2 अक्टूबर 2014 को प्रधान मंत्री ने नौ लोगों को नामांकित किया, जिनमें शामिल हैं ?
जैसे कॉमेडियन कपिल शर्मा, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली, पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने अपने 'स्वच्छ भारत अभियान' को आगे बढ़ाने के लिए, पद्मनाभ आचार्य, नागालैंड के राज्यपाल, सोनल मानसिंह , शास्त्रीय नर्तक, इनादु समूह के रामोजी राव, इंडिया टुडे समूह के अरुण पुरी ओर
उन्होंने भारत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान, इनाडू और इंडिया टुडे सहित कई संगठनों को भी नामित किया, साथ ही साथ मुंबई के डब्बावाले भी, जो शहर के लाखों लोगों को घर का बना खाना पहुंचाते हैं.
8 नवंबर 2014 को, मोदी ने उत्तर प्रदेश को संदेश भेजा और उस राज्य के लिए नौ लोगों का एक और नामांकन किया.
अखिलेश यादव, स्वामी रामभद्राचार्य, मनोज तिवारी, मोहम्मद कैफ, देवप्रसाद द्विवेदी, राजू श्रीवास्तव, सुरेश रैना, कैलाश खेर, शिल्पा शेट्टी को इस मिशन में फरवरी 2017 से जोड़ा गया, 30 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी और स्कूल और कॉलेज के छात्र इस अभियान में भाग ले रहे हैं.
भारत सरकार ने 15 फरवरी 2016 को सफाई रैंकिंग जारी की, सफाई सेलेक्शन -2016 में 73 शहरों को सफाई और स्वच्छता के आधार पर स्थान देता है,10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की जांच के लिए सर्वेक्षण किया गया था कि वे कितने स्वच्छ या गंदे थे.
स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान भारत की तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा लांच किया गया जिसमें स्कूल के शिक्षकों और छात्रों के साथ स्वच्छता अभियान में उन्होंने भी भाग लिया.
इस कार्यक्रम के तहत आवासीय क्षेत्रों में जहाँ व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करना मुश्किल है वहाँ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना, पर्यटन स्थलों, बाजारों, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशनों जैसे प्रमुख स्थानों पर भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जाएगा, यह कार्यक्रम पाँच साल अवधि में 4401 शहरों में लागू किया जाएगा.
इस कार्यक्रम पर खर्च किये जाने वाले ₹62,009 करोड़ रुपये में केंद्र सरकार की तरफ से ₹14,623 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएगें, केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त होने वाले ₹14,623 करोड़ रुपयों में से ₹7,366 करोड़ रुपये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर ₹4,165 करोड़ रुपये व्यक्तिगत घरेलू शौचालय पर ₹1,828 करोड़ रुपये जनजागरूकता पर और समुदाय शौचालय बनवाये जाने पर ₹655 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे.
इस कार्यक्रम खुले में शौच, अस्वच्छ शौचालयों को फ्लश शौचालय में परिवर्तित करने, मैला ढ़ोने की प्रथा का उन्मूलन करने, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्वस्थ एवं स्वच्छता से जुड़ीं प्रथाओं के संबंध में लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाना आदि शामिल हैं.
अभियान को युद्ध स्तर पर प्रारंभ कर ग्रामीण आबादी और स्कूल शिक्षकों और छात्रों के बड़े वर्गों के अलावा प्रत्येक स्तर पर इस प्रयास में देश भर की ग्रामीण पंचायत,पंचायत समिति और जिला परिषद को भी इससे जोड़ना है.
अभियान के एक भाग के रूप में प्रत्येक पारिवारिक इकाई के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की इकाई लागत को ₹10,000 से बढ़ा कर ₹12,000 रुपये कर दिया गया है और इसमें हाथ धोने, शौचालय की सफाई एवं भंडारण को भी शामिल किया गया है, इस तरह के शौचालय के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता ₹9,000 रुपये और इसमें राज्य सरकार का योगदान ₹3,000 रुपये होगा.
जम्मू एवं कश्मीर एवं उत्तरपूर्व राज्यों एवं विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को मिलने वाली सहायता ₹10,800 होगी जिसमें राज्य का योगदान ₹1,200 रुपये होगा, अन्य स्रोतों से अतिरिक्त योगदान करने की स्वीकार्यता होगी.
जब छात्रा उस उम्र तक पहुंचती है जहां उसे पता चल जाता है कि स्कूल में महिला शौचालयों की कमी के कारण उसने अपनी शिक्षा के बीच में छोड़ दी है जब वे अपनी शिक्षा को बीच में छोड़ देते हैं तो वे अशिक्षित रहते हैं, हमारी बेटियों को गुणवत्ता की शिक्षा का समान मौका भी मिलना चाहिए, 60 वर्षों की स्वतंत्रता के बाद प्रत्येक स्कूल में छात्राओं के लिए अलग शौचालय होना चाहिए था, लेकिन पिछले 60 सालों से वे लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं दे सके और नतीजतन, महिला छात्रों को अपनी शिक्षा को बीच में छोड़ना पड़ता था इन बातों का ख़्याल रखा गया है.
लेकिन इस अभियान को शुरू करते वक़्त ये भूल गये कि भारत मैं कुछ इलाकों मैं पानी की बेहद कमी है ओर बंद मैं शौच के लिए हर व्यक्ति को कम से कम पांच लीटर पानी की ज़रूरत होगी ?
दूसरे जो सफ़ाई अभियान से जुड़े लोग थे जिनमें महिलाएं पुरूष दोनों ही शामिल हैं पहले ही अपने लिए नोकरी को लेकर परेशान थे आज वो तब ज़्यादा परेशान हैं जब उनकी जनसंख्या बढ़ी है.
हमारी सरकार चुनिंदा लोगों को लेकर बंद कमरे मैं बेठकर योजनाओं को बनाने की माहिर रही है जबकि हमारा विशाल भारत एक नहीं अनेकों समस्याओं से ग्रस्त है इसपर सरकार कोई भी किसी की भी रही हो गंभीरता से नहीं सोचती यही वजह है जब सरकारी योजनाऐं आधे रास्ते मैं ही दम तोड़ देश पर कर्जे का बोझ लाध देती हैं जो देश की जनता को चुकाना पड़ता है मगर योजनाओं से जुड़े लोग मज़े लेते हैं.
नोट- आंकड़े सरकारी वेबसाईटों से लिए गये हैं.
Comments
Post a Comment
शुक्रिया दोस्तों आपने अपने कीमती वक़्त से हमको नवाज़ा, हमारी कोशिश यही रहती कि आपको सच से सामना कराया जाये.
हमारा ईमेल - news@nbtvindia.com/ editor@nbtvindia.com