मां की ख़ातिर बनाया टेलीफ़ोन, ग्राहम बेल ने फोन पर कभी नहीं बोला 'हेलो'...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
दोस्तों, आवश्यकता अविष्कार की जननी है, ये शब्द यूं ही नहीं कहे जाते हम आपको बताते हैं कि सच्चाई क्या है, टेलीफोन ने एक्‍सचेंजों के जरिये लाइन कनेक्‍ट कराने से लेकर घरों और अब आपकी जेबों तक पहुंचने में लंबा सफर तय किया है. हालांकि, अपनी मां की कम सुनने की समस्‍या से परेशान एलेक्‍जेंडर ग्राहम बेल को 2 जून, 1875 में टेलीफोन का अविष्‍कार करने में जितनी मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ा, उससे ज्‍यादा पापड़ उसके पेटेंट को लेकर बेलने पड़े. 

ग्राहम बेल ने 7 मार्च, 1876 को टेलीफोन का पेटेंट हासिल किया था, इससे पहले जब बेल ने टेलीफोन के अविष्‍कार की घोषणा की तो करीब 600 लोगों ने दावा ठोक दिया, कुछ लोग अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए, हालांकि, जीत बेल को ही मिली, आज जब हम टेलीफोन या मोबाइल पर कॉल कनेक्‍ट करते हैं तो सबसे पहले हेलो बोलते हैं, कहा जाता है कि ग्राहम बेल ने अपनी गर्लफ्रेंड मारग्रेट हेलो के कारण फोन पर हेलो बोला और ये चलन में आ गया.

सबसे अहम बात कि एलेक्‍जेंडर ग्राहम बेल महज 13 साल के उम्र में ग्रेजुएट हो गए थे, इसके बाद 16 साल की उम्र में एक बेहतरीन म्यूजिक टीचर के रूप में मशहूर हुए, ग्राहम बेल की मां को सुनने में तकलीफ थी, मां की इस समस्‍या से ग्राहम बेल काफी दुखी और निराश रहा करते थे, यही कारण था कि वह ध्वनि विज्ञान की मदद से सुनने में अक्षम लोगों की मदद के लिए खास उपकरण बनाना चाहते थे. 

इसीलिए एलेक्‍जेंडर ग्राहम बेल न सिर्फ ऐसा यंत्र बनाने में कामयाब हुए, जो बधिर लोगों के लिए वरदान साबित हुआ बल्कि इसी कोशिश में उन्‍होंने टेलीफोन का अविष्‍कार भी कर लिया, उनकी पत्‍नी को भी सुनने में दिक्‍कत थी, बेल ने टेलीफोन के बाद 1880 में फोटोफोन भी बनाया, ये तकनीक प्रकाश की किरणों के जरिये आवाज को एक से दूसरी जगह भेजती थी, हालांकि फोटोफोन को लेकर लोगों ने ज्‍यादा उत्‍सुकता नहीं दिखाई, लेकिन आपको बता दें कि आज का ऑप्टिकल फाइबर केबिल एलेक्‍जेंडर ग्राहम बेल के सिद्धांतों पर ही काम करता है.

साथियो, टेलीफोन पर बात शुरू होते ही हेलो बोलने के चलन को लेकर एक कहानी प्रचलित है, कहा जाता है कि बेल की गर्लफ्रेंड का नाम मारग्रेट हेलो था, इसलिए बेल ने फोन पर बात शुरू करने से पहले हर बार हेलो कहना शुरू कर दिया, हालांकि, यह कहानी झूठी है क्‍योंकि एक तो इसका कोई साक्ष्‍य नहीं है, दूसरा बेल ने अपनी गर्लफ्रेंड से ही शादी की थी और उनकी पत्‍नी का नाम मैबेल गार्डिनर हब्बर्ड था, वहीं, उन्होंने 1877 में मैबेल से शादी की थी, शादी के बाद उन्होंने अपना नाम मैबेल हब्‍बर्ड बेल रख लिया था, अमेरिकन टेलीग्राफ एंड टेलीफोन कंपनी के दस्तावेजों से पता चलता है कि ग्राहम बेल ने कभी भी हेलो का इस्तेमाल नहीं किया था, उन्होंने सबसे पहले अपने असिस्टेंट को फोन पर बोला था, 'Come-here. I want to see you.' माना जाता है कि बेल टेलीफोन पर बात करते वक्त अहो का इस्तेमाल करते थे.

अब सवाल ये उठता है कि अगर बेल ने हेलो का चलन शुरू नहीं किया तो इसका इस्‍तेमाल किसने शुरू किया...?  दरअसल, पहले टेलीफोन पर बात शुरू करने से पहले 'Are you there या are you ready to talk' जैसे वाक्‍य बोले जाते थे, अमेरिकन टेलीग्राफ एंड टेलीफोन कंपनी के दस्तावेजों के मुताबिक, अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस एडिसन को इतना लंबा वाक्य पसंद नहीं था, उन्होंने जब पहली बार फोन किया तो गलती से 'हलो' (Hullo) के बजाय हेलो का इस्तेमाल किया, ये शब्‍द चलन में आ गया, उन्होंने 1877 में पिट्सबर्ग की 'सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट एंड प्रिंटिंग टेलीग्राफ कंपनी' के अध्यक्ष टीबीए स्मिथ को पत्र लिखकर कहा कि टेलीफोन पर सबसे पहले हेलो ही बोला जाना चाहिए, हेलो शब्‍द को 1880 में पूरी तरह से अपना लिया गया, एटीएंडटी के अध्यक्ष फ्रेडरिक पेरी फिश ने साल 1907 में फोन पर हेलो बोलने के चलन का श्रेय एडिसन को दिया.

ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी की मानें तो हेलो शब्द पुराने जर्मन शब्द हाला, होला से बना है, जिसका इस्तेमाल नाविक किया करते थे, इनका मतलब होता है कैसे हो या क्या तुम वहां हो या क्या तुम सुन रहे हो, बताया जाता है कि रात के समय नाविक एकदूसरे से संपर्क करने और हाल-चाल पूछने के लिए ‘Ahoy! Hoy’ शब्द का भी इस्तेमाल करते थे, यहां ये बात भी ग़लत साबित हो जाती है कि हेल माने जहन्नुम है इसलिए हैलो शब्द कहा गया यानि तुम जहन्नुमी हो.

हेलो शब्द आया कहां से अब इस पर चर्चा करते हैं और हम आपको बताते हैं कि असलियत क्या है, हेलो का सबसे पहली बार इस्‍तेमाल 1827 में किया गया था, ये शब्द पुराने फ्रांसीसी या जर्मन शब्द 'होला' से निकला है, जिसका मतलब 'हाय' नहीं 'कैसे हो' होता है, 1830 के दशक में हेलो का इस्‍तेमाल लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए किया जाता था, हेलो शब्द सबसे पहले लिखित रूप में 1833 में इस्तेमाल हुआ, यह 1883 में नोह वेबस्टर्स डिक्शनरी में लिया गया था, जो 1860 के बाद से चलन में आ गया था.

ग्राहम बेल के जीवन से जुड़ी एक और रोचक कहानी है, जिस पर बॉलीवुड फिल्‍म भी बनाई जा चुकी है, ग्राहम बेल ने एक अंधी और गूंगी-बहरी लड़की हेलन केलर को उसकी टीचर ऐनी सुलिवन से मिलवाया था, दरअसल, केलर के पिता बेल के बारे में सुनकर उनसे मदद मांगने के लिए उनके घर पहुंच गए थे, इस पर बेल ने केलर को सुलिवन के पास भेज दिया था, इसके बाद सुलिवन ने केलर को ट्रेनिंग दी, हेलन केलर ने अपनी आत्मकथा एलेक्‍जेंडर ग्राहम बेल को डेडीकेट की है, हम आपको ये भी बता दे कि अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी की फिल्म ब्लैक हेलेन केलर के जीवन पर ही बनी है.

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