एनबीटीवी इंडिया
गोरखपुर की एक ख़बर पर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा है, यहां के एक होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत के मामले में 6 पुलिसवालों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ है, रामगढ़ताल थाने के इंस्पेक्टर जेएन सिंह का नाम भी इसमें शामिल है, इंस्पेक्टर जगत नारायन सिंह को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता है, उनपर पहले भी कई हत्याओं के आरोप लगे हैं, मगर हत्याओं मैं सज़ा के बदले हमेशा मिलता रहा ईनाम, आख़िर आज खुल रहे हैं सारे राज़, सपा नेता अखिलेश यादव पीड़ित परिवार से मिले, साथ ही 20 लाख की मदद करते हुए सरकार पर जमकर हमला बोला, वहीं दूसरी तरफ सीएम योगी भी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं, उन्होंने एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अधीन 2 कमेटियां बनाने के निर्देश दिए हैं, साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए...?
वहीं मनीष की पत्नी मीनाक्षी का रो-रोकर बुरा हाल है, वह इंसाफ की आस में मासूम बेटे को गोद में लेकर इधर-उधर भटक रही है, इसी बीच पीड़िता ने पति की खून से लथपथ लाश की फोटो ट्वविटर पर शेयर की है, बता दें कि मृतक की पत्नी ने पुलिस पर आरोप लगाए हैं कि पुलिस की मारपीट में ही उसके पति की जान गई है, देखिए वह तस्वीर जिसे पत्नी ने शेयर की है.
आपको बता दें कि गोरखपुर जिले में कार्यकाल के दौरान उन्होंने चार बदमाशों के पैर में गोली मारी थी, बदमाशों के नाम सिकंदर, अमित, राधे यादव और हरिओम कश्यप हैं, सिकंदर को गोली मारने से पहले जेएन सिंह ने रामगढ़ताल में ही अमित को गोली मारकर गिरफ्तार किया था, बांसगांव इंस्पेक्टर रहते हुए उन्होंने बदमाश राधे यादव को गोली मारी थी, वहीं झंगहा में इंस्पेक्टर रहते हुए हरिओम कश्यप के पैर में गोली मारी थी, तभी इंस्पेक्टर जगत नारायन सिंह एनकाउंटर की बदौलत ही सिपाही से आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर बने, हालांकि उनका नाम हमेशा विवादों में रहा है, उन पर वसूली से लेकर फर्जी मुकदमें में फंसाकर जेल भेजने की धमकी देने जैसे आरोप हमेशा लगते रहे हैं.
जानकारी के अनुसार बांसगांव इंस्पेक्टर रहने के दौरान जेएन सिंह पर गंभीर आरोप लगे, वहां के थाने में शुभम उर्फ सोनू कुमार नाम के शख्स के खिलाफ हत्या के प्रयास का केस दर्ज था, पुलिस ने उसे 11 अक्तूबर 2020 को डिघवा तिराहे से गिरफ्तार कर लिया और जेल भिजवा दिया, 7 नवंबर को जेल में उसकी मौत हो गई, इस मामले में फिर पुलिस पर आरोप लगा कि शुभम की मौत पिटाई से हुई है, तब तत्कालीन चौकी इंचार्ज को सस्पेंड किया गया था.
सूत्रों के अनुसार इसी साल 13 अगस्त को रामगढ़ताल पुलिस की कस्टडी में 20 वर्षीय गौतम सिंह की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी, बाद में पुलिस ने केस दर्ज किया, उसमें ये दिखाया कि गायघाट बुजुर्ग में प्रेमिका से मिलने गए युवक की लड़की के परिवार वालों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी, वहीं परिजनों का आरोप था कि युवक की मौत पुलिस की पिटाई से हुई, ये भी पता चला कि युवक की पुलिस की गाड़ी में मौत हुई थी जिसमें इंस्पेक्टर जेएन सिंह मौजूद थे, हालांकि पुलिस ने इस मामले को दूसरा एंगल देकर रफा-दफा कर दिया था.
अब एक बार फिर कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या का आरोप इंस्पेक्टर जेएन सिंह पर लगा है, जो तस्वीरें और सच्चाई सामने आई हैं, उनमें साफ़ देखा जा सकता है कि दो पुलिसवाले होटल के कमरे में आईडी चेक कर रहे हैं, ये दोनों पुलिसवाले इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा हैं, दोनों कमरे में मौजूद लोगों से पूछताछ भी करते दिख रहे हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 27 और 28 सितंबर की दरम्यानी रात करीब साढ़े बारह बजे रामगढ़ताल थाने की पुलिस जांच करने पहुंची थी, इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा, दोनों ने मनीषा गुप्ता के कमरे का दरवाजा खुलवाया, आईडी दिखाने को लेकर मनीष की पुलिसवालों से बहस हुई, आरोप है कि पुलिसवालों ने पीड़ित मनीष को इतना मारा कि वो वहीं ख़ून से तरबतर हो गए, उसके बाद पुलिस वाले मनीष को अस्पताल ले गए या अस्पताल ले जाने का नाटक किया, जहां उनकी मौत हो गई.
बिलखती पत्नी मीनाक्षी ने पति की खून से लथपथ हालत में तस्वीर शेयर की है। साथ ही अपना दर्द भी बयां किया है,
मीनाक्षी ने लिखा-''मित्रो अब हो गई मैं अकेली, चले गए, हमे छोड़ कर मनीष, अब देना होगा आप सब को मेरा साथ, दिलाना है अब निर्दोष मनीष जी को न्याय, आप सबके साथ की जरूरत है मेरे बच्चे को''.
वहीं उस वक्त की तस्वीर सामने आई है, जब गोरखपुर पुलिस होटल में चेकिंग करने के लिए गई थी, यह तस्वीर मनीष के मौत के चंद मिनटों के पहले की बताई जा रही है, इसमें साफ तौर पर पुलिसकर्मी होटल में मनीष और उनके दोस्तों की तलाशी लेते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसमें रामगढ़ताल थाना इंचार्ज जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा दिख रहे हैं.
मीडिया के सामने पीड़िता मीनाक्षी ने पुलिस पर कई तरह के आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा कि जिस दौरान मनीष का शव गोरखपुर से कानपुर ला रहे थे तो साथ में 15 पुलिसकर्मी थे, उन्होंने बीच में कहीं गाड़ी भी नहीं रोकी, मेरा मासूम बच्चा भूख से तड़पता रहा, मैं कार रोकने का कहती रही, लेकिन उन्होंने गाड़ी नहीं रोकी, वहीं सामजवादी पार्टी ने भी पुलिस के इस रवैये पर हमला बोला है, भाजपा सरकार में पुलिस का स्तर संवेदनशीलता की शून्यता से भी नीचे जा चुका है,सपा ने कहा ''गोरखपुर में व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या के बाद पुलिस को उनके बच्चे पर भी दया नहीं आई, रास्ते भर बच्चा भूख से तड़पता रहा लेकिन पुलिस वालों ने गाड़ी नहीं रोकी, शर्मनाक! अत्याचार की सारी हदें पार.
कुछ लोग दबी आवाज़ मैं कह रहे हैं ये सिर्फ़ होटल मैं चैकिंग नहीं किसी के कहने या इशारे पर पैसों के लिए हत्या भी हो सकती है...?
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