आर्यन ख़ान को सज़ा ड्रग्स की कम किसी और बात की अधिक...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"

बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान आजकल ड्रग केस में फंसने के बाद चर्चा में हैं, क्रूज पर छुट्टी बिताने गए आर्यन ड्रग के मामले में कई लोगों सहित गिरफ्तार हो गए थे, उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई एक बार फिर टल चुकी है.


जैसा कि आप जानते हैं कि किंग ख़ान यानि सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान, आजकल ड्रग केस में फंसने के बाद चर्चा में हैं, क्रूज पर छुट्टी बिताने गए आर्यन ड्रग के मामले में कई लोगों सहित गिरफ्तार हो गए थे, उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई टल चुकी है, एक सुपरस्टार के बेटे के ड्रग केस में फंसने के कारण पूरा बॉलीवुड सकते में ज़रूर है लेकिन कोई खुलकर साथ आने को तैयार नहीं है, बस तमाम लोग इसपर पक्ष और विपक्ष में प्रतिक्रिया दे रहे हैं, गुरुवार को दोपहर में फिर से सुनवाई होनी है, अब तक इस केस में क्या-क्या हुआ, इसकी संक्षेप में पूरी जानकारी कुछ इस तरहां है...?

2 अक्टूबर को एनसीबी (नार्केटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) ने मुंबई से गोवा जा रही क्रूज पर रेड डाली, जिसमें 13 ग्राम कोकीन, 21 ग्राम चरण और एमडीएमए के 22 गोली मिली. इस मामले में आर्यन खान सहित कई लोगों को हिरासत में लिया गया. 

3 अक्टूबर को शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान, उनके दोस्त अरबाज मर्चेंट, मॉडल मुनमुन धमेचा की गिरफ्तारी की गई और तीनों को अदालत में पेश किया गया. अदालत ने तीनों को एनसीबी की रिमांड पर सौंप दिया. 

4 अक्टूबर को आर्यन खान एवं अन्य लोगों के फिर से अदालत में पेश किया गया. एनसीबी ने आर्यन खान के फोन से मिली डिटेल के आधार पर अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी से आर्यन खान के संबंध बताए. अदालत ने आर्यन खान की कस्टडी 7 अक्टूबर तक बढ़ा दी. 

7 अक्टूबर को इस दिन एनसीबी ने फिर से आर्यन खान को रिमांड पर देने की मांग की लेकिन अदालत ने मना कर दिया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया. आर्यन की ओर से जमानत याचिका दायर की गई. 

8 अक्टूबर को अदालत ने आर्यन खान, अरबाज मर्चेंट, मुनमुन धमेचा की जमानत का याचिका रद्द कर दी.

9 अक्टूबर को आर्यन खान की ओर से दोबारा जमानत याचिका दायर की गई. कहा कि उन्हें गलत तरीके से दोषी करार किया गया है. उनके पास से कोई ड्रग नहीं मिला, जिस बात को एनसीबी ने भी अपनी रिपोर्ट में माना है.

11 अक्टूबर को आर्यन खान के वकील ने जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की. कोर्ट ने इस मामले में 13 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा. 

13 अक्टूबर को स्पेशल एनडीपीएस कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई एक दिन के लिए टाल दी.

आर्यन क्रूज रेव पार्टी ड्रग्स मामले में जेल में हैं, आर्यन की जमानत पर सुनवाई कर रही स्पेशल NDPS कोर्ट ने पिछली सुनावाई में जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

एनसीबी ने 14 अक्टूबर को विशेष एनडीपीए अदालत में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दावा किया कि वह मादक पदार्थों के नियमित उपभोक्ता हैं, आर्यन खान को क्रूज शिप पर कथित तौर पर मादक पदार्थ जब्त करने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, कोर्ट ने ड्रग्स केस में अपना फैसला सुनाते हुए शाहरुख खान के बेटे की जमानत याच‍िका को खार‍िज कर दिया है, अब आर्यन खान के वकील ने हाई कोर्ट में आर्यन की बेल की अर्जी दाख‍िल कर दी है, अब आगे की कार्यवाही हाईकोर्ट पर निर्भर है.

अब जानते हैं आर्यन खान के दादा और शाहरूख़ ख़ान के वालिद क्या थे, क्या इसी की सज़ा भी मिल रही है...?

कहते हैं कि पेशावर की गलियों में जरूर कुछ खास बात है जो सितारों को मुंबई की माया नगरी तक खींच लाती थी, कपूर खानदान से दिलीप कुमार तक इसी शहर के धूलभरे रास्तों से होकर रजतपट के शहंशाह बने थे, नई पीढ़ी इस बात से शायद ही वाकिफ हो कि उसका पसंदीदा सितारा भी फिल्मी महानायकों के इस चमत्कारिक नगर से रिश्ता रखता है, हम बात कर रहे हैं सुपर स्टार शाहरुख खान की जिनके पुरखे भी पेशावर के ही बाशिंदे थे, जबकि यह नौजवान सितारा खुद कभी पेशावर नहीं गया, न उसके ज़ेहन में उस शहर की कोई याद दर्ज है, फिर भी शाहरुख जब कभी अपने चहेते सितारे दिलीप साहब से मिलते हैं, तो गाहेबगाहे गुफ्‍तगू के सिरे उस बस्ती की ओर जरूर मुड़ जाते हैं, यही वह शहर था, जहाँ से शाहरुख के वालिद मरहूम स्वतंत्रता सेनानी मीर ताज मोहम्मद भारत की आजादी के तरानों के साथ दिल्ली आए थे, ठीक उसी तरह जैसे ग्लैमर का सपना सँजोए शाहरुख ने दिल्ली से बॉलीवुड का रुख किया था, शाहरुख और उनके पिता की जिंदगी में ऐसे मोड़ कई बार आए हैं, और हमेशा ही डटकर मुकाबला भी किया है.

आपको बता दें कि शाहरुख खान और उनके वालिद मरहूम मीर ताज मोहम्मद शाहरुख के जीवन पर पिता का गहरा प्रभाव है, आमतौर पर लड़के अपनी माँ के अधिक करीब होते हैं, पर शाहरुख भावनात्मक रूप से अपने वालिद के साथ ज्यादा जुड़े रहे, सिर्फ पंद्रह वर्ष की आयु में पिता को खो देने का दुख उन्हें आज भी सालता है, किस्मत शाहरुख पर जरूरत से ज्यादा मेहरबान रही, नीली छतरीवाला एक हाथ से देता है, तो दूसरे से छीन लेता है, शाहरुख को अपनी माँ का वियोग भी सहना पड़ा, इस दोहरे आघात को उनकी पत्नी गौरी और सिनेमाई सफलता ने कम किया.
 
जब भी पिता के बारे में बात करते हैं तब शाहरुख भावावेश में डूब जाते हैं, किसी बच्चे जैसी बेचैनी उसकी नस-नस में भरने लगती है, शाहरुख की नजर में उनके पिता से बड़ा महानायक कोई नहीं हो सकता, वे बिल्कुल देवआनंद की तरह खूबसूरत थे, शाहरुख का कहना है, छ: फुट ऊँचा कद, भूरी आँखें और गौर वर्ण, ग्रेगरी पेक (हॉलीवुड अभिनेता) भी उन्हें देखकर ईर्ष्या से भर उठते, मैं उनके आगे कुछ नहीं हूँ, शाहरुख ने हमेशा अपने वालिद से तुलना की और खुद को एक चौथाई भी नहीं पाया...

आगे कहते हैं मैं बचपन में बेतरतीब बालों वाला बदसूरत-सा लड़का था, शाहरुख अक्सर यह बात करते हैं, उन्हें अपनी फूली हुई नाक और थूथन से उठे होंठ भी कतई पसंद नहीं, यह अलग बात है कि इन्हीं बेतरतीब बालों में स्वपन्न सुंदरी हेमामालिनी ने हाथ फिराने की ख्‍वाहिश व्यक्त की थी और उनकी गैर आनुपातिक नाक आज इंडस्ट्री के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई.

मीर साहब हिन्दी, कश्मीरी, पश्तो, अँगरेजी, इतालवी, उर्दू, पंजाबी, फारसी तमाम भाषाएँ फर्राटे से बोलते थे। शाहरुख ने बहुभाषा ज्ञान तो नहीं, पर वाचालता पिता से उधार ली है। वकालत पढ़े वालिद मियाँ ने स्वाधीनता आंदोलन में शिरकत के बदले सरकार से एक दुकान बतौर इनाम ली और उसमें रेस्त्राँ चलाया। दिल्ली में कुछ बच्चों को आग से बचाने के लिए उन्हें पुरस्कार स्वरूप एक मैडल भी जीता था। यह तमगा वे अक्सर बाल शाहरुख को दिखाया करते थे। मीर साहब ने कभी अपने नवाबजादे को बंदिशों में नहीं बाँधा। छोटे मियाँ कभी पड़ोसी की लड़की को छेड़कर आए, तो वालिद की दो टूक टिप्पणी होती - मोहतरमा, आपकी लड़की है ही इतनी खूबसूरत। शाहरुख अपने बेटे आर्यन पर भी यह नुस्खा आजमाने के इंतजार में हैं।
 
मीर साहब बला के भुलक्कड़ इंसान थे। शाहरुख को याद है कई बार उन्होंने अपने वालिद को टॉयलेट-सीट पर बैठकर उबले अंडे खाते देखा था। बड़े मियाँ यह भी भूल जाते थे कि यह उनका सिंहासन नहीं है। एक बार तो हजरत बगैर पतलून पहने दफ्तदर जाने लगे, तो बेगम साहिबा ने याद दिलाया। शाहरुख के पिता एक खानदारी रईस परिवार से आए थे। मगर दिल्ली में संघर्ष करना पड़ा।
 
वकालत में रुचि नहीं ली, व्यवसाय चलता नहीं। अपनी बेटी शहनाज (शाहरुख की बहन) को उन्होंने शहजादी की तरह पाला। शहनाज उम्र में शाहरुख से पाँच साल बड़ी है। वालिद की कैंसर से हुई मृत्यु ने शाहरुख को बुरी तरह तोड़ दिया। 19 सितंबर 1981 को मीर ताज मोहम्मद ने आखिरी साँस ली। इसके पहले कई रात जागकर शाहरुख और शहनाज ने पिता को लम्हा-लम्हा मौत के आगोश में जाते देखा था। पिता की मृत्यु के साथ किशोर शाहरुख ने अपना सबसा अच्छा दोस्त और सरपरस्त खो‍ दिया।
 
एक बार शाहरुख ने बहन के साथ मिलकर इस गम को बाँटा, शहनाज दिमाग से भी शाहरुख से तेज थी, मगर पिता की मौत के बाद छोटे भाई ने उन्हें सँभाला, गंभीर मिजाज की शहनाज दिनचर्या की पाबंद थी, शाहरुख पूरी तरह आलमगीर, शहनाज साफ-सफाई को लेकर हमेशा सख्‍त रही, मुँह और हाथ धोने के लिए वह दो अलग साबुनों का उपयोग करती, एक दिन नटखट नंदकिशोर चुपके से बहन के बाथरुम में घुस गए और घंटों उन बेशकीमती साबुन की टिकियाओं से हर-हर गंगे करते रहे, शहनाज आपा को पता चला, तो कसके धुनाई की, शाहरुख उस पिटाई को आज तक नहीं भूले हैं.

जब शिवसेना प्रमुख ने कहा कि शाहरूख ख़ान को पाकिस्तान चले जाना चाहिए, तब अभिनेता शाहरुख खान के पिता के मित्र रह चुके स्वतंत्रता सेनानी त्रिलोचन सिंह का कहना है, शिवसेना को यह कहने का अधिकार नहीं है कि शाहरुख खान को पाकिस्तान चले जाना चाहिए, शायद बहुत ही कम लोग यह बात जानते होंगे कि फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के पिता ताज मोहम्मद मीर स्वतंत्रता सेनानी थे, सिंह ने कहा कि शाहरुख के पिता ताज मोहम्मद ने 'भारत छोड़ो' आंदोलन में हिस्सा लिया था और बंटवारे के दौरान पेशावर के बदले दिल्ली में रहना मुनासिब समझा.

स्वतंत्रता सेनानी त्रिलोचन सिंह ने कहा यह विडंबना और दुख की बात है कि जिस शिवसेना ने जंग-ए आजादी के लिए कुछ नहीं किया, वह शाहरुख से जाने को कह रहे हैं, सिंह ने कहा यहां महत्वपूर्ण यह है कि हम हिंदू थे और हमने पाकिस्तान को छोड़ा लेकिन वहां एक मुस्लिम भी था, जिसने भारत को चुना। आखिर शिवसेना शाहरुख को पाकिस्तान जाने के लिए कैसे कह सकती है, जिसके पूरे परिवार ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था, उन्होंने बताया ''मैं और शाहरुख के पिता ताज मोहम्मद पेशावर से थे। हमने 'भारत छोड़ो' आंदोलन में हिस्सा लिया था, ताज मोहम्मद के बड़े भाई गुलाम मोहम्मद गामा भी स्वतंत्रता सेनानी थे, सिंह ने कहा कि आजादी के बाद शाहरुख के पिता चंद मुस्लिमों में एक थे, जिन्होंने भारत में रहना मुनासिब समझा.

स्वतंत्रता सेनानी त्रिलोचन सिंह ने आगे कहा शिवसेना और बाल ठाकरे का स्वतंत्रता संग्राम से कोई संबंध नहीं रहा है और वे शाहरुख को पाकिस्तान जाने की सलाह दे रहे हैं, यह शर्मनाक बात है, वे ऐसी बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि शाहरुख मुस्लिम हैं, कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नजदीकी रहे सिंह अब राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, वह हैरिटेज सोसाइटी ऑफ इंडिया के सचिव हैं और साथ ही डाक्टर श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पीटल के अध्यक्ष भी हैं, शाहरुख के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन को लेकर हर तरफ आलोचना का शिकार हो रही शिवसेना के तेवर कुछ नरम पड़ गए हैं.

भारत विभाजन के दौरान ऐसे हजारों मुस्लिम परिवार थे, जिन्होंने पाकिस्तान को अपना वतन चुना और भारत छोड़कर चले गए थे, हालांकि ऐसे परिवारों की भी कमी नहीं है, जिन्होंने भारत को पाकिस्तान के मुकाबले तरजीह दी और हमेशा के लिए यहां बस गए, ऐसे ही परिवारों में से एक थी शाहरुख खान की फैमिली, बॉलीवुड के किंग खान के पिता ताज मोहम्मद खान कांग्रेस के लीडर थे, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पेशावर में रहते थे, लेकिन जिन्ना के पाकिस्तान में उनका यकीन नहीं था और उन्होंने महात्मा गांधी के सेकुलर भारत भरोसा जताते हुए पाकिस्तान छोड़ दिया.

विभाजन के बाद ताज मोहम्मद खान ने पेशावर छोड़ दिया और दिल्ली चले आए थे, यहीं वह कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर काम करते रहे, शाहरुख खान खुद कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि उनके पिता कांग्रेस के कार्यकर्ता थे और विभाजन का तीखा विरोध किया था, वह धर्म के आधार पर नया देश बनाए जाने के खिलाफ थे, ऐसे में वह परिवार के साथ दिल्ली चले आए थे, ताज मोहम्मद खान का 1981 में निधन हो गया था, वह कैंसर से पीड़ित थे, पेशे से वकील रहे ताज मोहम्मद खान की विरासत पर शाहरुख खान गर्व करते रहे हैं.

शाहरुख खान के परिवार जैसी ही स्थिति दिलीप कुमार की फैमिली की भी थी, विभाजन से पहले ही मुंबई आकर बसे दिलीप कुमार के पिता गुलाम सरवर खान से पेशावर स्थित उनके परिजनों ने कहा था कि वे वापस आ जाएं, इस पर गुलाम सरवर खान ने कहा था कि अब हम बॉम्बे नहीं छोड़ेंगे, भारत ही हमारा घर है, दिलीप कुमार ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में भी इसका जिक्र किया है, दिलीप कुमार 1947 में एक नवोदित सितारे थे, उनकी फिल्म ज्वार भाटा रिलीज हो गई थी और वह देविका रानी के बॉम्बे टॉकीज का हिस्सा थे.

यही नहीं शाहरुख और दिलीप कुमार के अलावा गीतकार और शायर साहिर लुधियानवी भी ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने पाकिस्तान के बजाय भारत में रहना ठीक समझा था, वह तो 1950 के दशक में भारत आए थे, जब उनकी लेफ्ट समर्थक रचनाओं और बयानों के लिए उन्हें पाकिस्तान में समन जारी किए गए थे, मौजूदा दौर की बात करें तो अदनान सामी ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने पाकिस्तान छोड़ भारत का रुख किया था, भारत सरकार ने 2016 में उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की थी.

जब उनके बाप चाय बेच रहे थे तब  पठान मीर ताज मोहम्मद खान आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। 47 में देश का विभाजन हुआ तो ताज मोहम्मद ने फैसला किया कि वह हिंदुस्तान में ही रहेंगे। एक पठान भला अपने उस देश को कैसे छोड़ता, जिसके लिए वह लड़ाई में कूदा ?  ताज मोहम्मद हिन्दुस्तान आ गए.

ताज मोहम्मद की एक खासियत थी उनकी पत्नी हैदराबाद से थी उनकी अपनी अम्मा कश्मीरी थी और वह खुद पेशावर से थे। ताज मोहम्मद ने बच्चों को सिखाया कि याद रखना पूरा हिन्दुस्तान तुम्हारा है।

आजादी की लड़ाई में ताज मोहम्मद दो बार जेल भी हो आये फाकाकशी भी करी। आजादी की जंग में शिरकत का मौका आया तो किसी जे कहा खादी पहन लो, ताज मोहम्मद ने कहा खादी मुझ पर न फबेगी, कपड़ों से नही दिल से देशभक्त हूँ। एक बार दिल्ली में बच्चे आग की लपटों में फंस गए तो ताज मोहम्मद आग में कूद पड़े और बच्चों को बचा लाये.

आठ से ज्यादा भाषा बोलने वाले ताज मोहम्मद से के आसिफ ने कहा मुगल ए आजम में मानसिंह का रोल कर लो।उन्होंने तड़ाक से ना बोल दिया सिनेमा मतलब नौटंकी.

तो हे दोटकिया भक्तों शाहरुख खान उसी ताज मोहम्मद खान का बेटा है और जिस बच्चे के जेल जाने से  तुम ठहाके लगा रहे हो उसकी मां एक आर्मी आफिसर की बेटी है। दरअसल तुम्हारै पास केवल माफीवीर सावरकर और गोडसे है। कम से कम देश को आजादी दिलाने वालों का ही मान रख लेते बेशर्मों.

नोट- यहां शिवसेना प्रमुख के बोल को हमने किसी मकसद से लिखा है और सभी तस्वीरें गूगल से ली गई हैं, साभार गूगल...?

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