स्कूटी तीसरी मंज़िल की छत पर है ना अजीब तस्वीर...?
ये फ़ेक तस्वीर या एडिट की हुई तस्वीर नहीं है, बल्कि ये पूरी तरहां से जायज़ और ठीक तस्वीर है, इसके मालिक हैं बुलंदशहर के किराना व्यापारी सुनील कुमार, जिन्होंने एक साल पहले ये सुज़ुकी स्कूटी बड़े शौक़ से ख़रीदी थी और आज इनका यही शौक़ इनके लिए जी का जंजाल बन गया और सबसे अधिक गुस्सा तब आया जब इनको तबियत ख़राब होने पर अस्पताल जाना था और इनकी स्कूटी ने धोखा दे दिया, ये सुज़ुकी की स्कूटी कालेआम चौराहे पर बंद हो गई, रात का समय और कड़ाके की ठंड के साथ तबियत ख़राब.
सुनील गुस्से मैं स्कूटी को चराहे पर ही छोड़ बड़ी मुश्किल से किसी का सहारा लेकर घर वापस आये और सुबह दुकान के लड़के को भेजकर स्कूटी को मंगाया, उम्मीद थी कोई ले गया होगा, मगर ये वहीं मिली.
ख़ैर आप सोच रहे होंगे कि स्कूटी बंद होने पर इतना गुस्सा क्यू...?
तब हम आपको बता दें कि सुनील जब से स्कूटी ली है तभी से इसके चलते चलते बंद होने से परेशान है, बड़ा थोक व्यापारी है समय की कमी रहती है, मगर फिर भी दर्जनों बार इसे डीलर के सर्विस सेंटर भेज चुके हैं, मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात ख़राबी दूर तो नहीं हुई, बल्कि परेशानी बड़ गई, सैंकड़ों मिन्नते की गई मगर नतीजा कुछ नहीं निकला, तब गुस्से मैं ये कदम उठाया और साथ मैं बोर्ड पर लिखवाकर साथ मैं टांग दिया.
इनका कहना है मैं अकेला नहीं हुँ कई और भी लोग हैं, जो इस तरहां की परेशानी के शिकार हैं, नई गाड़ी आदमी परेशानी से बचने के लिए लेता है मगर ये तो उल्टे परेशान कर रही है, तब क्या फ़ायदा बाकी लोगों को सावधान किया जाये ना कि आप सुजुकी कम्पनी से दूर रहें, यहां के कर्मचारी भी परेशान करते हैं, सब अनाड़ी भरे हुए हैं, सुनने वाला कोई नहीं.
एक परेशान का कहना है वो कबाड़ मैं कटवा देगा, तो दूसरे का कहना है कि वो सोच रहा है कि मुझे करना क्या है, जबकि सुनील ने कर दिखाया है और ये परेशानी मैं विरोध का नया तरीका है...?
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